हाथी से उतरी मीता गौतम, कांग्रेस का थामा हाथ

चुनाव से ठीक पहले बसपा को बड़ा झटका, डॉ. पी.एल पुनिया ने जॉइन कराई कांग्रेस

बाराबंकी। लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण से पहले बहुजन समाज पार्टी को झटका लगा है। पार्टी की कद्दावर नेत्री एवं पूर्व विधायिका मीता गौतम ने अचानक पार्टी छोड़कर बड़ा झटका दिया है। उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और कांग्रेस प्रदेश प्रभारी आशुतोष पाण्डेय व पूर्व सांसद डॉ. पी.एल पुनिया की मौजूदगी में हाथी से उतर कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। ऐसे में एक ओर जहां भाजपा-बसपा खेमे में मायूसी है, कांग्रेस व सपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। बताते चलें कि मीता गौतम जिले की सियासत में गौतम बिरादरी की प्रमुख दलित चेहरा के तौर पर जानी जाती है। उनकी जिले की कुर्सी विधानसभा और जैदपुर विधानसभा के दलितों व अल्पसंख्यकों के बीच गहरी पैठ कही जाती है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिनों पहले मीता गौतम ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी। कांग्रेस महासचिव से भेंट के बाद उन्होंने शनिवार को कांग्रेस की सदस्यता ले ली। जिले में दलितों के प्रमुख चेहरे के तौर पर पहचान बनाने वाली मीता गौतम ने मायावती को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस के केन्द्रीय चुनाव कार्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्व विधायिका मीता गौतम ने कहा कि लगभग दो दषक का उनका राजनीतिक करियर है। वे पहली बार कुर्सी (फतेहपुर) विधानसभा से साल 2007 में विधायक बनी। तब से वह समाज में गरीबों, दलितों, शोषितों और अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ रही है। मीता गौतम ने कहा कि आज जो देश की परिस्थितियां हैं, वह किसी से छुपी नहीं है। एक तरफ दमनकारी शक्तियां हैं तो दूसरी तरफ देश के वंचित, दलित और पीड़ितों को न्याय दिलाने वाली शक्ति है। इस स्थिति में दमनकारी शक्ति से लड़ना है तो राहुल गांधी के नेतृत्व में न्याय की लड़ाई में खड़ा होना पड़ेगा। इन्हीं विघटनकारी ताकत से लड़ने के लिए उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया है। मैं अब हमेशा कांग्रेस के साथ रहूंगी तथा पार्टी के लिए दिन-रात काम करूंगी। कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया को अच्छे वोटों से जीतने का काम करूंगी। श्रीमती गौतम ने कहा कि भाजपा डॉ अम्बेडकर के बनाए संविधान को खत्म करने का प्रयास कर रही है। ऐसे में बसपा की शिथिलता से मुझे बहुत दुख हुआ। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संविधान और आरक्षण बचाने की लड़ाई लड़ रही है। भाजपा को ये लगता है कि 400 सीटें ले आयेंगे तो संविधान को बदल देंगे। ऐसा हम कतई नहीं होने देंगे। हम राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनाने जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने मीता गौतम को लाकर दलितों को एक बार फिर कांग्रेस से जोड़ने का काम किया है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व सांसद डॉ पी.एल पुनिया, रामसागर रावत, पूर्व मंत्री नकुल दूबे, कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो मोहसिन, पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका हफीज भारती, जिया उर रहमान, विजय पाल गौतम आदि पार्टी के कई स्थानीय नेता, पदाधिकारी व समर्थक मौजूद रहे।
बसपा से शुरू किया राजनीतिक सफर
बाराबंकी। मीता गौतम ने साल 1996 में बसपा ज्वाइन किया था। 1996 में लखनऊ के मेयर चुनाव के दौरान प्रत्याशी दाऊजी गुप्ता के समर्थन में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी में विभिन्न पदों पर रहकर संगठन का काम किया था। साल 2002 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगभग 16465 वोट प्राप्त किये। इसके बाद 2007 में हुए चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर दोबारा से इसी सीट से चुनाव लड़ा। लगभग 34430 वोट प्राप्त कर उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार पीएल पुनिया को हरा दिया था। साल 2007 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह 2010 से 2012 तक बाल विकास पुष्टाहार विभाग में उन्होंने अध्यक्ष पद के तौर पर भी कार्य किया। फिर, 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फतेहपुर से चुनाव लड़ा और लगभग 56246 वोट प्राप्त किया। फिर, 2017 में जैदपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और लगभग 48400 वोट प्राप्त किया। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर ही कुर्सी विधानसभा से चुनाव लड़ा था और लगभग 35472 वोट हासिल किए थे।

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