नई दिल्ली। कांग्रेस ने आखिरकार रायबरेली और अमेठी से आज अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया। रायबरेली से कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव लड़ने वाले हैं। वहीं, अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल (केएल) शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है।
बता दें कि साल 2019 में राहुल गांधी को भाजपा नेता स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। अटकलें लगाई जा रही थी कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अंत में पार्टी ने राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बना दिया। कांग्रेस के इस फैसले पर भाजपा नेताओं के प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।
यह प्रियंका गांधी की हार: अमित मालवीय
कांग्रेस के इस फैसले पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट लिखा, आखिरकार राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ दिया। हारने वाले अक्सर ऐसा करते हैं। इसमें कोई आश्चर्य तो नहीं है। यह भी स्वीकारोक्ति है कि राहुल गांधी जीत नहीं सकते। ऐसे में, किसी को भी INDI एलायंस पर अपना वोट क्यों बर्बाद करना चाहिए? तीसरे चरण के बाद मतदान और भी अधिक एनडीए के पक्ष में होगा। लेकिन जो बात परेशान करने वाली है वह है प्रियंका वाड्रा को सत्ता से बाहर रखने का व्यवस्थित प्रयास किया जा रहा है।
राहुल गांधी खेमा नहीं चाहता कि उनकी बहन आगे बढ़े, वो समझते हैं कि कहीं वह (प्रियंका गांधी) उन पर भारी न पड़ जाएं। कांग्रेस के भीतर सत्ता के लिए भाई-बहन का यह संघर्ष क्या रंग लाएगा, यह देखना अभी बाकी है। लेकिन फिलहाल, प्रियंका वाड्रा एक बार फिर हार गई हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी को रायबरेली की जनता स्वीकार नहीं करेगी।
वायनाड ने अस्वीकार किया तो रायबरेली आ गए: शहजाद पूनावाला
इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा,’डरो मत कहते-कहते राहुल गांधी, अमेठी से लड़ो मत कहने लगे’। गांधी परिवार उस क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है जिस अमेठी को वो अपना गढ़ कहते थे।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 50 वर्षों में राहुल गांधी ने अमेठी के लिए उतना कुछ नहीं किया जितना पिछले 5 वर्षों में पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में स्मृति ईरानी ने किया है। पहला राहुल गांधी अमेठी ने उन्हें अस्वीकार कर दिया, और वे वायनाड चले गए, अब वायनाड ने उन्हें अस्वीकार कर दिया और इसलिए वे रायबरेली आ गए।”