नोएडा। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत पढ़ने वाले प्रत्येक छात्रों को हर साल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत 1200 रुपये उनके अभिभावकों के खातों में भेज रही है, लेकिन डीबीटी पोर्टल पर कई स्कूलों के नाम ही गायब हैं।
डीबीटी की प्रक्रिया पूरी न होने के कारण छात्र सरकार से मिलने वाली राशि के लाभ से वंचित हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला गौतमबुद्ध नगर में नोएडा के होशियारपुर में सामने आया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की गड़बड़ी सामने आई हैं।
कंपोजिट स्कूल होशियारपुर के करीब 700 छात्र बेसिक शिक्षा परिषद की लापरवाही के भेंट चढ़ गए। डीबीटी पोर्टल पर स्कूल अंकित न होने के कारण योजना में लाभ के लिए छात्रों का डाटा ही अपलोड नहीं हो सका। स्कूल के सात सौ छात्र सत्र 2023-24 में डीबीटी योजना के लाभ से वंचित रह गए।
स्कूल की प्रधानाचार्य ने कई बार मौखिक रूप से विभागीय अधिकारियों को परेशानियों से भी अवगत कराया। विभागीय अधिकारियों ने 15 जून 2022 को शासन पत्र भेजा। इसके बाद न तो शासन स्तर न जिला स्तर पर ठोस कदम उठाए गए।
अभिभावक डीबीटी की राशि के लिए स्कूल के चक्कर काटते रहे, पूरे सत्र उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। शिक्षकों ने बताया कि प्रेरणा और डीबीटी पोर्टल पर स्कूल अंकित नहीं है। इसलिए डीबीटी की प्रकिया पूरी नहीं हो सकी। विभाग को इस संबंध में पहले ही अवगत कराया जा चुका है।
स्कूल बिसरख ब्लाक में, अंकित था जेवर ब्लाक में
होशियारपुर बिसरख ब्लाक के अंतर्गत है, लेकिन कंपोजिट स्कूल बनने से पहले यह जेवर ब्लाक के स्कूलों की सूची में अंकित था। कंपोजिट होने के बाद जेवर ब्लाक के स्कूलों की सूची से इसे हटा दिया। निपुण आंकलन परीक्षा में इसे बिसरख ब्लाक की सूची में अंकित किया गया। लेकिन प्रेरणा और डीबीटी पोर्टल पर यह स्कूल गायब है।
यू डायस पर भी दो स्कूल का एक विशिष्ट नंबर
बेसिक शिक्षा परिषद के यू डाइस पोर्टल पर होशियारपुर के दो स्कूल की एक ही विशिष्ट संख्या अंकित है। दो स्कूल दिखने से इस स्कूल में न ही खंड शिक्षा अधिकारी, न ही एआरपी और एसआरजी निरीक्षण कर पा रहे है।
एक यू डाइस संख्या पर उच्च प्राथमिक स्कूल होशियारपुर और कंपोजिट स्कूल होशियारपुर दिखाई दे रहा है। इस वजह से निरीक्षण आख्या दर्ज करना संभव नहीं है।
अभिभावकों का सरकारी योजना से उठा भरोसा
मजदूरी करने वाले अभिभावकों को योजना का लाभ नहीं मिलने से उनका सरकार से भरोसा उठ रहा है। अभिभावक राम नरेश का कहना है कि उनके बच्चों के ड्रेस,जूते मोजे आदि के लिए मिलने वाले रुपये नहीं मिले।
सरकार कहती है कि दो जोड़ी ड्रेस, जूते मोजे के पैसे खाते में भेजे हैं, लेकिन उन्हें एक रुपया भी नहीं मिला है। रकम उधार लेकर बच्चों को ड्रेस,जूते मोजे दिलाये थे। अभिभावक राकेश ने बताया कि विभाग में कई बार शिकायत की, आश्वासन के अलावा कुछ मदद नहीं मिली है।
1200 रुपये से यह खरीदते हैं अभिभावक
दो जोड़ी यूनिफार्म के लिए 600 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये, जूते-मोजे के लिए 125 रुपये और स्कूल बैग के लिए 170 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा स्टेशनरी में चार कापियां, दो पेंसिल,दो रबर और दो कटर के लिए 105 रुपये खरीदने के लिए दी जाते हैं।
ऐसे स्कूल और बच्चों को चिह्नित किया जाएगा, कितने बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिला है, क्यों नहीं मिल पाया है। इस मामले की जांच की जाएगी। बच्चों को योजना का लाभ दिलाया जाएगा।
प्रताप सिंह बघेल, निदेशक बेसिक शिक्षा विभाग