असमंजस में कांग्रेस : हर दिन अलग-अलग प्रत्याशियों के नाम की होती है यहां चर्चा

अमेठी/रायबरेली। अमेठी-रायबरेली सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवारों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। हर दिन इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर अलग-अलग नामों की चर्चाओं का दौर भी चलता रहता है। कांग्रेस को जल्द प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने की उम्मीद है।

ऐसे में कांग्रेस के ही कुछ लोगों का कहना है कि अमेठी सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी राजनीति की शुरूआत परिवार की परंपरा की अनुसार करेंगी और राहुल गांधी एक बार फिर अपनी मां सोनिया गांधी की छोड़ी सीट रायबरेली से उम्मीदवार हो सकते हैं। जबकि कांग्रेसी अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं।

गांधी परिवार की चुप्पी अमेठी कांग्रेस पर अब पड़ रही भारी
अमेठी के चुनावी रण 2024 में भाजपा की स्मृति ईरानी के मुकाबले कांग्रेस का योद्धा कौन होगा। सभी की दिलचस्पी बस, यही जानने में है। अमेठी-रायबरेली सीट को लेकर गांधी परिवार की चुप्पी से यहां के लोगों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की धड़कन जैसे-जैसे नामांकन की अंतिम तिथि करीब आ रही बढ़ती जा रही है।

1952 में फिरोज गांधी रायबरेली तो 1977 में संजय गांधी ने अमेठी से सीधे रिश्ता जोड़ा, उसके बाद दशकों तक यह दोनों ही सीटें गांधी-नेहरु परिवार का गढ़ बनी रहीं। अमेठी-रायबरेली में पहली बार कांग्रेस व गांधी परिवार दोनों ही किसे चुनावी रण भूमि में उतारे के सवाल पर गहरे असमंजस में फंसे हुए हैं। कांग्रेस में अमेठी-रायबरेली का रुतबा किसी से छिपा नहीं है।

शायद, यही वजह है कि जिला कांग्रेस कमेटी से लेकर पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीइसी) तक कोई भी कुछ कहने से बच रहा है। वहीं स्मृति इरानी आम चुनाव 2014 में पहली बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में अमेठी पहुंची थी। इससे पहले कांग्रेस के राहुल गांधी के मुकाबले आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास ने ताल ठोक रखी थी। कम ही समय में स्मृति ने भाजपा को 3,00,748 मत दिलाकर अमेठी में एक नई संभावना को जन्म दिया। इस चुनाव में राहुल गांधी को चार लाख से अधिक मत मिले थे।

हार के बाद स्मृति को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया तो स्मृति ने भी अमेठी से अपना नाता जोड़ लिया। स्मृति की अमेठी में बढ़ती सक्रियता के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आम चुनाव 2019 में अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी चुनावी मैदान में उतरें।

कांग्रेस की इस चाल का अमेठी में विपरीत असर पड़ा और तीन बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राहुल को भाजपा की स्मृति ने 55,120 मतों से हराकर सांसद बन गई। जिसके बाद राहुल गांधी अमेठी से धीरे-धीरे दूर होते गए। कांग्रेस की भारत जोड़ों न्याय यात्रा सहित पिछले पांच सालों में चार बार ही राहुल अमेठी आए हैं।

अमेठी में 1981 दोहराने जा रही कांग्रेस, टिकट घोषित होने के दिन ही राजीव गांधी ने भरा था पर्चा
कांग्रेसी अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। यहां नामांकन शुरू हो चुका है पर, अब तक कांग्रेस ने उम्मीदवार मैदान में नहीं आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी वर्ष 1981 के उपचुनाव का इतिहास दोहराने वाली है। उस वक्त कांग्रेस ने नामांकन शुरू होने के बाद प्रत्याशी उतारा था। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल का दावा है कि राहुल गांधी ही अमेठी से चुनाव लड़ेंगे।

नामांकन में तीन दिन ही बचे शेष
अमेठी सीट पर नामांकन के लिए अब मात्र तीन दिन ही शेष बचे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस की बेचैनी भी समय के साथ बढ़ने लगी है। कांग्रेस की तैयारियों पर भी प्रत्याशी घोषित नहीं होने का असर पड़ने लगा है। रामपुर खास से विधायक आराधना मिश्र मोना को अमेठी का प्रभारी बनाया गया है। अभी तक वह अमेठी नहीं पहुंची हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय तीन मई को अमेठी आ रहे हैं।

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