काठमांडू। नेपाल में हुए उप-चुनाव के परिणाम के बाद उत्साहित केपी शर्मा ओली के तरफ से कभी भी समीकरण बदलने का संकेत मिलने के साथ ही प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने एक बार फिर पुराने गठबन्धन को ही पुनर्गठित करने की कवायद शुरू कर दी है।
एक संसदीय क्षेत्र इलाम में हुए उप-चुनाव में एमाले के उम्मीदवार सुहांग नेम्बांग की जीत के बाद से राजनीतिक गलियारों में समीकरण बदलने की चर्चा तेज हो गई है। पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड और विपक्षी नेता शेरबहादुर देउवा के बीच बढ़ती मुलाकात ने इन अटकलों को और अधिक बल दिया है। हाल ही में संपन्न नेपाल इंवेस्टमेंट समिट के उद्घाटन सत्र में प्रचण्ड ने विपक्षी नेता देउवा को अपने साथ मंच पर बिठाया जबकि सत्तारूढ गठबन्धन के ओली उस कार्यक्रम से नदारद रहे।
नेपाली कांग्रेस के कई नेता खुल कर इस समीकरण के बदलने और ओली के साथ समीकरण बनाने की बात करने लगे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता शेखर कोईराला हो या महामंत्री गगन थापा सभी सार्वजनिक रूप से ओली के साथ मिलकर सरकार गठन की वकालत करने लगे हैं। कांग्रेस और एमाले पार्टी के नेताओं की बढती नजदीकी के बीच प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने भी कांग्रेस से अपनी दूरी घटानी शुरू कर दी है। कांग्रेस में देउवा के निकट नेता मिनेन्द्र रिजाल ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री प्रचण्ड ओली के साथ गठबन्धन से नाखुश हैं और पुराने गठबन्धन को फिर से जीवित करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। हालांकि कांग्रेस के नेता प्रचण्ड पर इतनी जल्दी भरोसा करने के पक्ष में नहीं है। प्रचण्ड ने देउवा के पास सत्तारूढ़ गठबन्धन के माधव नेपाल और उपेन्द्र यादव को भी भेज कर पुराने गठबन्धन को फिर से शामिल होने के प्रस्ताव के लि़े भरोसा दिलाया है।
उधर, कांग्रेस और एमाले के बीच भीलगातार षंवाद चल रहा है। कांग्रेस पार्टी का एक पक्ष ओली के साथ मिलकर सरकार गठन की कवायद में जुटा है। इसके लिए ओली और देउवा के करीबी नेता माहौल बनाने में लगे हैं। ओली के विश्वासपात्र माने जाने वाले प्रदीप ज्ञवाली ने बताया कि छोटे दलों की मनमानी को रोकने के लिए दो बड़ी पार्टियों का मिलना जरूरी है ताकि छोटे दल कम सांसद के साथ बार्गेनिंग ना कर पाए।