आजमगढ़। जिला आजमगढ़ अपने आप में कई खासियत समेटे है। यहां से तीन मुख्यमंत्रियों का भी संबंध रहा है। जिले को मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के अलावा रामनरेश यादव का भी नेतृत्व मिल चुका है। इसी वजह से पहले आम चुनाव के बाद से अब तक यहां तीन बार 1978, 2009 और 2019 में उपचुनाव कराए जा चुके हैं।
आजमगढ़ लोकसभा सीट से 1977 में जनता पार्टी की लहर में रामनरेश यादव ने कांग्रेस के चंद्रजीत यादव को 1,37,810 मतों से पराजित कर दिया। वह सांसद बने लेकिन उन्हें तत्काल उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। इस कारण सीट खाली हो गई। 1978 में उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस ने चंद्रजीत की जगह मोहसिना किदवई को मैदान में उतारा। उनके लिए खुद इंदिरा गांधी ने प्रचार की कमान संभाल ली थी।
इंदिरा गांधी का ही असर था कि मोहसिना किदवई ने जनता पार्टी के रामबचन यादव को करारी शिकस्त दी। तब जनता पार्टी के रामबचन यादव को 95,944 मत, जबकि कांग्रेस की मोहसिना किदवई को 1,31,329 मत मिला था। जनपद को दूसरे उपचुनाव का सामना 2008 में उस समय करना पड़ा जब वर्ष 2004 में बसपा के टिकट पर सांसद बने रमाकांत यादव की नजदीकियां सपा से बढ़ीं और बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
सपा ने उपचुनाव में रमाकांत को टिकट न देकर पूर्व मंत्री बलराम यादव को मैदान में उतारा। रमाकांत ने भाजपा का कमल थाम लिया और मैदान में कूद गए। तब सरकार में रही बसपा ने अकबर अहमद डंपी को उतारकर पूरी ताकत झोंक दी और यह सीट 52,368 मतों के अंतर से जीत ली। सपा को 1,53,671 मतों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
2019 में हुए आमचुनाव में यहां से अखिलेश यादव ने चुनाव जीता था, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद यहां तीसरी बार उपचुनाव कराना पड़ा था। उपचुनाव में भाजपा ने भोजपुरी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा तो सपा ने परिवार के धर्मेंद्र यादव पर दांव लगाया। बसपा ने यहां से गुड्डू जमाली को मैदान में उतार दिया। दिनेश लाल ने धर्मेंद्र को 8,679 वोटों से पराजित कर दिया।
एक बार फिर दिनेश व धर्मेंद्र के बीच चुनावी जंग
उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को शिकस्त देने वाले भाजपा के दिनेश लाल का सामना एक बार फिर होगा। इस बार गुड्डू जमाली साइकिल पर सवार हो गए हैं।