रायबरेली। निजी विद्यालय संचालकों ने किताब, ड्रेस के साथ ही बसों के किराए में भी बढ़ोतरी की है। एक विद्यार्थी का दूरी के अनुसार 100 रुपये तक बढ़ाए गए हैं। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। स्कूल व उससे संबद्ध बसों के किराए में वृद्धि प्रत्येक वर्ष की जाती है। निजी वाहनों से भी मनमाना किराया वसूल किया जाता है।
गंभीर बात है कि हर साल स्कूल बस के किराए में होने वाली वृद्धि पर अधिकारी भी अंकुश लगाने में खुद को असहाय मानते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक करीब पांच हजार से अधिक निजी विद्यालय हैं। इनमें से करीब तीन हजार विद्यालय हैं जो बच्चों के आने जाने के लिए वाहन की सुविधा देते हैं। कई स्कूलों में बसों से बच्चों को भेजा जाता है। इन बसों के किराए प्रत्येक वर्ष बढ़ोतरी हो रही है, जबकि डीजल आदि के खर्चे में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
बढ़ते पैसे से अभिभावक परेशान
अभिभावक आनंद मोहन ने बताया कि उन्होंने शहर के एक विद्यालय में बच्चे का तीन वर्ष पूर्व दाखिला कराया था। प्रत्येक वर्ष 100 रुपये तक की बढ़ोतरी की जाती है। अभिभावक रमेश कुमार ने बताया कि काम के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता है, इसी कारण स्कूल बस लगवाई कि राहत रहेगी, मगर हर साल किराया बढ़ा दिया जाता है।
स्कूलों का तर्क, वाहन सुविधा में हैं तमाम खर्चे
मुद्दे पर स्कूल संचालकों के अपने तर्क हैं। उनका तर्क है कि बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से बसों पर प्रशिक्षित ड्राइवर व सहायक की व्यवस्था करनी पड़ती है। मानक पूरे करने पड़ते हैं। जैसे पीली रंग की बस, कैमरा, स्पीड गवर्नर, बस के चारों ओर रिफ्लेक्टर पट्टी, गेट पर चालक का नाम व लाइसेंस नंबर, फायर नंबर, इमरजेंसी नंबर, एंबुलेंस नंबर, बच्चों के बैठने का उचित प्रबंध, बैग रखने की व्यवस्था, फस्ट एड किट का स्कूल बसों में होना अनिवार्य है।
अधिकारी ने कही ये बात
अभिभावकों की ओर से बसों का किराया बढ़ाए जाने की कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर कोई अभिभावक लिखित शिकायत करता है तो संबंधित विद्यालय से जवाब तलब किया जाएगा।- ओमकार राणा, जिला विद्यालय निरीक्षक