उरई। नोटा मतलब इनमें से कोई प्रत्याशी पसंद का नहीं। यह अधिकार निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को दिया है। यह भले की निर्णायक न हो लेकिन गणित जरूर बिगाड़ सकता है। पिछले दो लोकसभा चुनावों को देखें तो नोटा का प्रतिशत बढ़ा है।
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में 12483 ने तो वर्ष 2014 में 10291 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया है। 2014 की अपेक्षा 2019 में नोटा का बटन दबाने का प्रतिशत अधिक रहा है। चुनाव में अगर किसी को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है तो उसके लिए नन आफ द एबब (नोटा) का प्रयोग करने का अधिकार मतदाताओं के पास है।
2014 से नोटा का प्रतिशत बढ़ा
पहले नोटा का प्रयोग कुछ ही मतदाता करते रहे लेकिन 2014 से इनका प्रतिशत बढ़ गया है। नोटा भले ही निर्णायक की भूमिका में नहीं रहता है लेकिन यह गणित जरूर बिगाड़ सकता है। जालौन-गरौठा- भोगनीपुर संसदीय क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2014 में 10291 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।
इसकी संख्या 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 12483 पहुंच गई। यानि की वर्ष 2014 की अपेक्षा 2019 के चुनाव में 2192 अधिक लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में नोटा का आंकड़ा कहां तक पहुंचेगा यह तो चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चलेगा।