91 वर्षीय मलयालम साहित्यकार एमटी वासुदेवन का दिल का दौरा पड़ने से निधन

प्रधानमंत्री मोदी ने वासुदेवन नायर के निधन पर शोक जताया है. पीएम मोदी ने दिग्गज मलयालम साहित्यकार एम टी वासुदेवन नायर के निधन गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनमें मानवीय भावनाओं की गहन खोज की कला थी. उनकी शानदार रचनाएं आने वाली कई पीढ़ियों तक प्रेरणादायक बनी रहेंगी. पीएम मोदी ने कहा कि नायर मलयालम सिनेमा और साहित्य में सबसे सम्मानित शख्सियतों में से एक थे.

उन्होंने खामोश और हाशिए पर पड़े लोगों को अपने कलम से आवाज दी. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. महान साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता नायर का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया. वो 91 साल के थे.

भारतीय अभिनेता ममूटी ने दी भावात्मक श्रद्धांजलि
ममूटी ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट में लिखा कि जिस दिन मैं उनसे मिला, उसी दिन से यह रिश्ता और मजबूत होता गया. हम दोनों का ये रिश्ता एक दोस्त, एक भाई की तरह बढ़ता गया. मेरे फ़िल्मी करियर में मुझे सबसे बड़ा सौभाग्य मिला है. मेरी तरफ से निभाए गए बहुत से किरदार उन्हें काफी पसंद थे.

फिल्मों का भी किया निर्देशन
एमटी वासुदेवन नायर ने मलयालम फिल्म मुरप्पेण्णु से स्टोरी राइटिंग की शुरुआत की थी. राइटिंग के साथ-साथ उन्होंने निर्देशन में भी काम किया. निर्माल्यम एमटी वासुदेवन ने ही बनाई थी. इसके लिए उन्हें बेस्ट फीचर फिल्म कैटगरी में नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्होंने बंधनम और कडव फिल्मों में बतौर निर्देशक के रूप में काम किया.

इन रचनाओं ने दी थी पहचान
वासुदेव नायर की प्रचलित रचनाओं में नालुकेट, रंदामूज़म, वाराणसी और स्पिरिट ऑफ डार्कनेस शामिल हैं. इनके जरिए उन्हें साहित्यिक दुनिया में एक अलग पहचान मिली. उन्हें 1996 में ज्ञानपीठ और 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वासुदेव नायर का जन्म केरल के पलक्कड़ में हुआ था. साहित्य में रुचि रखने वाले वासुदेव नायर ने ग्रेजुएशन को विज्ञान विषय में पूरा किया.

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