राजस्थान में भजनलाल सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार में बनाए गए 17 नए जिलों और 3 संभाग को लेकर बड़ा फैसला किया है. सरकार ने गहलोत सरकार में नए बने 17 में से 9 जिलों और 3 संभाग को खत्म कर दिया है. इस तरह से देखें तो राज्य में जिलों की संख्या अब 41 हो गई है जबकि अभी तक यह संख्या 50 थी. भजनलाल सरकार ने जिन जिलों को निरस्त किया है उसमें दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिले शामिल हैं. वहीं, बालोतरा,व्यावर , डीग, डीडवाना -कुचामन, कोटपूतली -बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर जिले यथावत बने रहेंगे. सरकार ने राजस्थान की ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन करने का फैसला किया है.
राज्य में जिस समय जिलों के लेकर सियासत गरमाई हुई है तो ऐसे समय में हमें यह भी जानना जरूरी है कि आखिर अलग जिले कैसे, कब और क्यों बनाए जाते हैं? इसके पीछे की पूरी प्रक्रिया क्या होती है हमें इसके बारे में भी जानना जरूरी है. राजस्थान में गहलोत सरकार ने किस बेस पर नए जिलों का निर्माण किया था और भजनलाल सरकार ने किस आधार पर 9 जिलों को खत्म कर दिया है? इसके बारे में भी हमें जानना बेहद जरूरी है.
जिला बनाने का काम राज्य सरकारों के जिम्मे
जिला बनाना और उसे खत्म करना ये सब राज्य सरकारों का काम होता है. नए जिले बनाने की प्रक्रिया काफी कुछ शहर की आबादी पर भी निर्भर करती है. कभी-कभी यह पॉलिटिकली प्रभावित भी होती हैं. जिले बनाने का मुख्य मापदंड जनसंख्या और क्षेत्रफल होता है. आमतौर पर एक जिले की आबादी 10 लाख के आसपास होती है. इसलिए अगर किसी जिला मुख्यालय पर आबादी का लोड ज्यादा रहता है तो सरकारें उसे कम करने के लिए नए जिले बना देती हैं. वैसे नया जिला बनाने के लिए वहां की आबादी न्यूनतम 2 लाख होनी चाहिए. जनसंख्या अगर इससे कम है तो फिर उसे नया जिला नहीं बनाया जा सकता है.
नए जिले बनाने के लिए जरूरी बातें-
क्षेत्र की आबादी कम से कम 2 लाख और ज्यादा से ज्यादा 10 लाख होनी चाहिए.
जिला बनाने के लिए क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर भी गौर किया जाता है.
नए जिले की आवश्यकता का व्यावहारिक अध्ययन भी जरूरी होता है.
क्षेत्र में प्रशासनिक सुविधा और संसाधनों की उपलब्धता भी गंभीरता से विचार किया जाता है.
संबंधित क्षेत्र की जिला मुख्यालय से कितनी दूरी है यह देखा जाता है.
नया जिले बनने के बाद उस क्षेत्र का परिसीमन कराया जाता है.
इसके अलावा किसी क्षेत्र को नया जिला तभी बनाया जाता है जब जिला मुख्यालय से वो कम से कम 50 किलोमीटर दूर हो. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर जिला मुख्यालय दूर है तो उससे क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार उनकी दिक्कतों को कम करने के लिए नए जिले का निर्माण करती है जिसकी वजह से उन्हें मुख्यालय तक पहुंचने में ज्यादा लंबा सफर तय नहीं करना होता.
साथ-साथ नए जिले तभी बनाए जाते हैं जब उस क्षेत्र में कम से कम तीन से चार तहसील और उपखंड मुख्यालय होने चाहिए. नए जिले बनाए जाने को लेकर सरकार की एक कमेटी उस क्षेत्र का अध्ययन करती है ताकि दिक्कतों और परेशानियों को लेकर स्थिति साफ हो सके. नए जिले बनाते समय क्षेत्र की जनसंख्या घनत्व, भौगोलिक क्षेत्र के साथ-साथ प्रशासनिक सुविधा, संसाधनों की उपलब्धता, सामाजिक विश्लेषण जैसे कारकों पर विचार किया जाता है. इसके अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों से भी बात की जाती है.
क्यों बनाए जाते हैं नए जिले?
हमें यह भी जानना जरूरी है कि आखिर नए जिले क्यों बनाए जाते हैं इसके पीछे क्या वजहें होती हैं. जानकारों का मानना है कि जिला मुख्यालय पर लोड कम करने और लोगों के लिए प्रशासन तक आसान पहुंच जैसे कई मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकारें जिले बनाती हैं. जिला अगर सीमित जनसंख्या वाला है तो ऐसी स्थिति में लोगों के जीवनस्तर में सुधार आता है. प्रशासन का जनता के बीच में पहुंच बढ़ती है और संवाद भी बना रहता है.
नए जिले बनने से इलाके में सरकारी सिस्टम के काम करने की रफ्तार तेज हो जाती है. स्वाभाविक बात है कि अगर जिले पर लोड सीमित है और दूरी ज्यादा नहीं है तो आखिरी गांवों या फिर कस्बों के विकास की रफ्तार तेज हो जाती है. कानून व्यवस्था को भी संभालने में शासन-प्रशासन को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है.
पूर्व सीएम ने राजस्थान सरकार पर बोला हमला
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने जिलों के लेकर भजनलाल कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़े किए और जिन जिलों को खत्म किया गया है उसे अनुचित ठहराया है. पूर्व सीएम ने कहा कि बीजेपी सरकार की ओर से जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया गया है वो अनुचित है. जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात के कई जिले ऐसेहैं जहां, की आबादी 2 लाख से लेकर 6 लाख के आसपास है. कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता भी ज्यादा होती है. छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है.