उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ाने को लेकर प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है. स्कूल चलो अभियान सहित कई योजनाएं अभिभावकों को जागरूक करने के लिए चलाई जा रही हैं, फिर भी गाजीपुर के कई स्कूलों में बच्चों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है. जुलाई में ऐसे विद्यालयों के शिक्षकों को विभाग की ओर से नोटिस भी भेजा गया था. इसके बाद भी संख्या न बढ़ पाने पर कम छात्र संख्या वाले विद्यालय अब प्रशासन और विभाग के निशाने पर आ गए हैं. 50 से कम छात्र संख्या वाले जिले के 423 स्कूलों को नजदीक के विद्यालयों में विलय करके बंद करने का निर्णय बेसिक शिक्षा विभाग ने लिया है.
राज्य परियोजना ने 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों की विकास खंडवार सूची मांगी है जो आसपास के विद्यालयों में विलय करके बंद किया जा सकते हैं. इस तरह के विद्यालयों की संख्या 423 है, जिनका अस्तित्व खत्म हो सकता है.
सबसे ज्यादा जमानिया के स्कूल शामिल
इन 423 विद्यालयों में सबसे ज्यादा जमानिया के 55 तो सादात ब्लाक के सबसे कम पांच विद्यालय शामिल हैं. वहीं बाराचवर में 24 ,भदौरा में 23 ,भांवरकोल 26 , बिरनो में 14 ,देवकली 42 ,सदर 14, करंडा 26, कासिमाबाद 24, मनिहारी 15 ,मरदह 24, मोहम्मदाबाद 43, नगर क्षेत्र 10 ,रेवतीपुर 25, सैदपुर 31 और जखनिया के 22 विद्यालय हैं, जहां पर 50 से भी काम छात्र संख्या है.
क्या है वजह?
गाजीपुर में कुल 2266 स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित हैं, जिसमें 1462 प्राथमिक और 350 उच्च प्राथमिक , 454 कंपोजिट विद्यालय हैं, जिसमें करीब 2 लाख 50 हजार बच्चे पढ़ाई करते हैं. इन्हीं विद्यालयों में से राज्य परियोजना कार्यालय ने प्रदेश भर के ऐसे परिषदीय विद्यालयों की सूची तैयार की है, जिसमें 50 बच्चे या उससे कम नामांकित बच्चे हैं.
बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव की तरफ से लगातार ऐसे विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर कई तरह की कवायद किए गए. यहां तक कि कई विद्यालयों पर बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव खुद पहुंचकर स्कूल चलो अभियान में शामिल हुए, ताकि टीचर और प्रधानाचार्य एक्टिव मोड में आ जाए. बावजूद इसके जनपद के 423 विद्यालयों में छात्र संख्या 50 से भी कम होने के कारण अब जनपद के इन विद्यालयों का अस्तित्व खतरे में आ गया है.