नई दिल्ली। चुनावी फंडिंग को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को दावा किया कि सीबीआइ, ईडी और आयकर विभाग की जांच का सामना करने वाली 41 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भाजपा को 2,471 करोड़ रुपये दिए। इनमें से 1,698 करोड़ रुपये इन कंपनियों ने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा छापेमारी किए जाने के बाद दिए। छापेमारी के ठीक तीन महीने बाद 121 करोड़ रुपये दिए गए।
30 कंपनियों ने खरीदे इतने के चुनावी बॉन्ड
चुनाव आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना का नया आंकड़ा सार्वजनिक किए जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने यह भी दावा किया कि कम-से-कम 30 मुखौटा कंपनियों ने 143 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे। प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे।
चंदा के बदले अनुबंध हासिल करने का लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि सरकार से 172 प्रमुख अनुबंध और परियोजना मंजूरी हासिल करने वाले 33 समूहों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को 1,751 करोड़ रुपये का चंदा देकर इन समूहों ने 3.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं और अनुबंध हासिल किए हैं।
भूषण ने दावा किया कि कम से कम 49 मामलों में केंद्र या भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों द्वारा पोस्टपेड अनुबंध/परियोजना मंजूरी में 62 हजार करोड़ रुपये दिए गए। इसके तीन महीने के भीतर भाजपा को चुनावी बॉन्ड के रूप में 580 करोड़ रुपये दिए गए।