मणिपुर के एक छोटे से गांव के रहने वाले 35 साल के सेइगौलाल वैहेई भारतीय सेना में बने अधिकारी

अगर इरादे मजबूत हो तो कोई भी बाधा आपके सपने को नहीं तोड़ सकती…पिछले करीब डेढ़ साल से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर के इस युवा ने इसे सच कर दिखाया है. हम बात कर रहे हैं लेफ्टिनेंट सेइगौलाल वैहेई की. वैहेई को भारतीय सेना में नई ऊचाई मिली है. उन्हें ऑफिसर बनाया गया है. पहले वो नायक के पोस्ट पर थे. वैहेई की कहानी इसलिए खास है कि क्योंकि वो हिंसाग्रस्त मणिपुर के एक छोटे से गांव से आते हैं, जो गांव (बेथेल) एक समय में हिंसा की आग में जल रहा था. इस हिंसा का खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ा. हिंसा की इस आग में उनका घर बार खाक हो गया. पूरा का पूरा परिवार बिछड़ गया. मगर उनके हौंसले को डिगा न सका.

राख में तब्दील हो गया घर बार
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने अपनी पूरी कहानी को विस्तार से बताया. सेना में अधिकारी बने वैहेई ने कहा, ‘पिछले साल जब मणिपुर में अशांति फैली तो मेरा परिवार उन लोगों में से था, जिन्हें हिंसा का खामियाजा भुगतना पड़ा. मेरा घर राख में तब्दील हो गया. मेरी विधवा मां, पत्नी और तीन बच्चे बेघर हो गए. उन्हें एक हफ्ते तक सेना के शिविर में रहना पड़ा. सेना ने शिविर में हमारे परिवार की देखभाल की, लेकिन इस अशांति ने हमें बेघर कर दिया.’ इन सब के बावजूद वैहेई ने मुश्किल विकल्पों को चुना. वह अपनी पत्नी और बच्चों को मणिपुर से मेघालय के शिलॉन्ग ले गए जबकि उनकी मां उनके बड़े भाई के पास देहरादून चली गईं, जो भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में प्रशिक्षक हैं.

बंदूक थामे सभी युवा उग्रवादी नहीं
वैहेई ने आगे बताया, हम उस जगह वापस जाना चाहते हैं जहां हमारा बचपन बीता था. मणिपुर में बंदूक थामे सभी युवा उग्रवादी नहीं हैं. वे शायद अपने घर और परिवार को बचा रहे हैं. मणिपुर के लिए शांति ही एकमात्र समाधान है. जब यह सब हो रहा था, तब मुझे एसएसबी बोर्ड (SSB) के साक्षात्कार में शामिल होना था. सेना में हमारी मानसिक और शारीरिक स्थिति इतनी अच्छी है कि इसने मेरे साक्षात्कार को प्रभावित नहीं किया और आज मैं उस दौर के बावजूद एक अधिकारी हूं.

4 भाइयों में से तीन सेना में हैं भर्ती
वैहेई का गांव बेथेल केवल 45 परिवारों का गांव है. यह गांव फिलहाल शांत है लेकिन इसकी जमीन तनाव से घिरी हुई है. वैहेई का दिल बेथेल से जुड़ा हुआ है. यहां से उनके बचपन की जड़ें जुड़ी हुई हैं. वह अपने परिवार और समुदाय के लिए आशा की किरण हैं. वैहेई ने कहा कि हमारे पास वहां जमीन है लेकिन हमें यकीन नहीं है कि यह अभी भी हमारी है या उस पर अतिक्रमण किया गया है. वैहेई चार भाइयों में से एक है, इनमें से तीन सेना में सेवा करते हैं. वैहेई के सबसे बड़े भाई कश्मीर में सूबेदार के पोस्ट पर तैनात हैं, जबकि दूसरा भाई IMA में प्रशिक्षक है. उनके पिता का निधन 1990 के दशक की शुरुआत में ही हो गया था. वह एक किसान थे और दिहाड़ी मजदूर किया करते थे.

दिहाड़ी मजदूरी करते थे पिता
वैहेई ने कहा कि मेरे पिता के पास कोई नौकरी नहीं थी. कभी वे किसानी करते थे तो कभी दिहाड़ी मजदूरी. हम तीनों भाइयों ने अपनी कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया. हमारे परिवार में कोई भी भारतीय सेना में नहीं था. हम अपने देश से प्यार करते हैं और भारतीय सेना में सेवा करना सबसे अच्छा तरीका है इसलिए हम सभी यहां हैं. वैहेई ने कहा मुझे गिटार बजाना बहुत पसंद है खासकर भक्ति संगीत. फुटबॉल खेलना भी पसंद है क्योंकि यह एक ऐसा खेल जो जीवन की रणनीति और लचीलेपन के संतुलन को दर्शाता है

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