छत्तीसगढ़ में 2897 टीचरों की बर्खास्तगी के आदेश के बाद से ही विरोध प्रदर्शन जारी

छत्तीसगढ़ के रायपुर (Raipur) में प्राइमरी स्कूल के 30 टीचरों को 1 जनवरी के दिन गिरफ्तार किया गया था. टीचरों ने भाजपा मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद सड़क को जाम कर दिया था. दरअसल, नए साल के जश्न और खुशियों के बीच छत्तीसगढ़ में लगभग सहायक शिक्षकों की नौकरी चली गई. 31 दिसंबर 2024 की देर रात शिक्षा विभाग ने सभी 2897 शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया था. इसी को लेकर टीचरों में रोष है.

गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी उनके समर्थन में बात की. x पर ट्वीट करते हुए बघेल ने कहा- यह सरकार नई नौकरियां तो नहीं दे पा रही है, लेकिन मौजूदा नौकरियां छीन रही है. सरकार ने शिक्षा विभाग में कार्यरत 2,897 लोगों को निकाल दिया है, उनमें से 70% अनुसूचित जनजाति से हैं.

पिछले एक पखवाड़े में आंदोलन तेज हो गया है. सैकड़ों बीएड-योग्य शिक्षकों ने रायपुर में सड़कों की सफाई करके, रक्तदान करके, पुरुषों ने अपने सिर मुंडवाकर और महिलाओं ने अपने बाल काटकर, सेंध झील में जाकर ‘जल समाधि सत्याग्रह’ किया. 1 जनवरी को शिक्षकों का एक समूह भाजपा कार्यालय के बाहर बैठ गया और सरकार से उन्हें शिक्षा विभाग में अन्य रिक्त पद देने की अपील की. जब पुलिस ने उन्हें नए रायपुर जाने के लिए कहा, जहां एक मैदान विरोध प्रदर्शन के लिए नामित किया गया है, तो शिक्षकों ने एक सड़क अवरुद्ध कर दी. इसी को लेकर पुलिस ने टीचरों को गिरफ्तार किया.

छत्तीसगढ़ में शिक्षक क्यों कर रहे हैं विरोध?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान से पढ़ा जाए तो यह स्पष्ट है कि शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति अधिनियम 2019 तैयार करते समय ही अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी कर दी गई थी. हाईकोर्ट ने भी अपने अंतिम निर्णय में अलग से नोट जारी करते हुए यह साफ कहा कि छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है.

बहरहाल, छत्तीसगढ़ में शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियम का राजपत्र में प्रकाशन 2019 में हुआ. इसके बाद नियुक्तियों का दौर चालू हुआ. उधर, बीएडी शिक्षकों का राजस्थान से उठा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा और छत्तीसगढ़ का मामला भी हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सहायक शिक्षक के पद पर बीएड डिग्रीधारीयों की नियुक्ति को गलत ठहरा दिया. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से एसएलपी भी दायर की गई और इसी को आधार बनाकर और आदेश में इसका उल्लेख कर बीएड डिग्री धारी सहायक शिक्षकों को नियुक्ति भी प्रदान कर दी गई. उनके आदेश में यह साफ तौर पर लिखा था कि यह नियुक्ति हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के अंतिम निर्णय के अधीन है.

कोर्ट के पास जाने का भी विकल्प नहीं बचा

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों में एक के बाद एक बीएड डिग्री धारी के खिलाफ फैसले आते रहे और मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को उसी समय समायोजन जैसे विकल्पों को लेकर प्रस्ताव पेश करना था. पर ऐसा नहीं हुआ और कोर्ट से एक तरफा फैसला जारी हो गया. अब स्थिति यह है कि बीएड डिग्री धारी शिक्षकों के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का भी विकल्प नहीं बचा है. सरकार भी अब इस मामले को लेकर न्यायालय नहीं जा सकती. मामले मे पेंच फंसता देखकर भी तत्कालीन सरकार और अधिकारियों ने सूझबूझ नहीं दिखाया और मामला लगातार उलझता चला गया.

यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों की तरफ से जो लिखित आदेश जारी हुआ है उसमें सीधे तौर पर बीएड डिग्री धारी को नौकरी से हटाने और डीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को नौकरी देने की बात कही गई है.

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