केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, अर्जुन मेघवाल और राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम होंगे विशिष्ट अतिथि
चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव के दौरान छिटके दलितों को दोबारा पार्टी के साथ जोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत रणनीति तैयार की है। दलितों को दोबारा पार्टी के साथ जोड़ने का जिम्मा केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिया गया है। उनके साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी अब हरियाणा में दलितों व शोषितों को भाजपा के साथ जोड़ने का काम करेंगे।
कुरुक्षेत्र के पिपली में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह में केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सांसद दुष्यंत गौतम होंगे।
पिपली स्थित गुरु रविदास मेमोरियल स्थल पर 26 अगस्त को आयोजित होने वाले दलित सम्मेलन के जरिये भाजपा ने दलितों को एकजुट करने की रणनीति तैयार की है। इस रणनीति को भाजपा नेता और मनोहर लाल के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर रहे सुदेश कटारिया अमलीजामा पहनाने की कवायद में जुटे हैं। कटारिया सम्मेलन की तैयारियां का जिम्मा खुद संभाल रहे हैं। इसके साथ ही सम्मेलन को सफल बनाने के लिए कटारिया की ओर जनसंपर्क अभियान, दलित संगठनों व सभाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जा रही हैं। इस कार्य में हरियाणा की तरफ से जनस्वास्थ्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल, राज्यसभा सांसद कृष्णलाल पंवार, विधायक सत्यप्रकाश जरावता और पूर्व सांसद अशोक तंवर भी उनके साथ हैं।
सुदेश कटारिया ने मंगलवार काे एक बयान जारी कर कहा कि 26 अगस्त को आयोजित होने वाले दलित सम्मेलन पीड़ित, शोषित दलित समाज में नई क्रांति और नई उम्मीद का महायज्ञ है। सम्मेलन में दलित एकजुटता के साथ संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अधूरे मिशन को पूरा करने का संकल्प लेंगे। प्रदेश के हर जिले में जनसंपर्क अभियान जारी है, अभी तक फतेहाबाद, कैथल, जींद, रोहतक व झज्जर सहित अंबाला व यमुनानगर में सम्मेलन का न्यौता दलितों को दिया जा चुका है। कटारिया ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय ऊर्जा, आवास व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने साढ़े 9 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में अंत्योदय उत्थान की भावना के साथ दलितों को मान-सम्मान देने का काम किया है। दलित महापुरुषों व संतों की जयंती सरकारी आयोजन पर मना कर उन्होंने एक मिसाल कायम की है और दलित महापुरुषों व संतों को मान-सम्मान मिला है, जबकि कांग्रेस ने हमेशा दलितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल में दलितों को दबंगई व अत्याचार सहने पड़े। गोहाना व मिर्चपुर कांड को दलित अभी तक भुला नहीं पाए हैं। दलित सम्मेलन में शोषित वर्ग कांग्रेस को वोट की चोट से जवाब देने की हुंकार भरेगा।