
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर अलीगढ़ में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया कर दिया, जिसको लेकर सूबे की राजनीति गरमा गई है. हमले को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के डीजीपी प्रशांत कुमार पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि इस हमले के पीछे सरकार और डीजीपी का सपोर्ट है.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार (28 अप्रैल) को कहा कि सपा सांसद रामजीलाल सुमन पर जो हमला हुआ है वो उन्हें डराने के लिए किया गया था और यह हमला पहली बार नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस हमले के पीछे सरकार और डीजीपी साहब का सपोर्ट है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी एक ही तरह के लोग हैं इसलिए समर्थन है.
‘पीडीए के लोगों को चुन-चुनकर मारा जा रहा’
अखिलेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में पीडीए के लोगों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये हमला इसीलिए भी हुआ है क्यों कि रामजीलाल सुमन दलितों को कुचलने के खिलाफ आवाद उठाने के लिए बुलंदशहर के उस सुनहरा गांव में जा रहे थे, जहां सत्ता के लोगों ने कुछ लोगों ने दलितों को कई बार बेहरमी से रौंदा था, जिसमें एक दलित महिली की मौत भी हुई है और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं.
‘कुछ लोगों को खुली छूट मिली हुई है…’
सपा प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश में थार और बुलडोजर को जानबूझ कर बीजेपी की दबंगई और भय का प्रतीक बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम वो लोग हैं जो संविधान और कानून को मानते हैं. उन्हें कहा कि प्रदेश में ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ लोगों को खुली छूट मिली हुई है, वो कुछ भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सपा सांसद पर जो हमला हुआ वो इस बात की तरफ इशारा करता है. उन्होंने कहा कि आगे भी ये लोग ऐसा ही करेंगे, सरकार के अफसरों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें तोड़ दी हैं.
करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने किया ता हमला
दरअसल अलीगढ़ में बीते रविवार (27 अप्रैल) को सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था.यह हमला गभाना के टोल प्लाजा के पास हुआ था. करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सपा सांसद के काफिले की गाड़ियों पर टायर फेंके और उन्हें काले झंडे दिखाए. सांसद सुमन ने पिछले दिनों राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने राणा सांगा को गद्दार बताया था और दावा किया था कि बाबर को राणा सांगा ने ही भारत बुलाया था. इसके बाद वह करणी सेना और हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर हैं.