
पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की मुहिम ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की रेस में मजबूती से ला खड़ा किया है। वहीं, नीतीश कुमार की सेहत और उम्र को लेकर उठ रही चर्चाएं उनके राजनीतिक प्रभाव को कमजोर कर रही हैं। इसी बीच सी-वोटर के एक सर्वे ने सियासी हलचल को और हवा दे दी है, जिसमें चिराग को अंतिम पायदान पर रखा गया है, लेकिन उनकी सक्रियता ने एक अलग ही संदेश दिया है।
तेजस्वी यादव सबसे आगे
सी-वोटर के सर्वे में तेजस्वी यादव सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चेहरा बनकर उभरे हैं। वे पूरी तरह से बिहार की राजनीति में रमे हुए हैं, लोकसभा या राज्यसभा से दूर रहकर सीधे जनता के मुद्दों पर बात करते हैं। यह सीधा जुड़ाव उन्हें जनता की पहली पसंद बनाता है।
प्रशांत किशोर का उभार
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर दूसरे नंबर पर हैं। उनके ‘जन सुराज अभियान’ और रोजगार व पलायन जैसे मुद्दों पर फोकस ने उन्हें सीरियस कंटेंडर बना दिया है। जनता में उनकी स्वीकार्यता बढ़ती दिख रही है।
नीतीश कुमार तीसरे पायदान पर
तीसरे नंबर पर नीतीश कुमार हैं। उनकी गिरती सेहत, कार्यशैली और बढ़ती उम्र अब उनकी लोकप्रियता में सेंध लगा रही है। लंबे समय से सत्ता में होने का भी असर दिख रहा है।
चिराग पासवान: भाजपा की रणनीति का हिस्सा?
चिराग पासवान, जिनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया, अब विधानसभा की ओर रुख कर सकते हैं। वे ना सिर्फ ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं, बल्कि खुद भी मैदान में उतर सकते हैं। भाजपा के रणनीतिकारों के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है – जदयू को किनारे कर सीएम पद की दौड़ में नया चेहरा खड़ा करने का।
तीसरा मोर्चा भी हो सकता है विकल्प
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव सिर्फ एनडीए बनाम महागठबंधन तक सीमित नहीं रहेगा। तीसरा विकल्प यानी पीके और चिराग जैसे नेताओं की नई धारा चुनावी समीकरण बदल सकती है।
निष्कर्ष:
बिहार की सत्ता की कुर्सी इस बार काफी दिलचस्प मुकाबले में है। चिराग पासवान की बढ़ती गतिविधियां और नीतीश कुमार की कमजोर स्थिति ने इस रेस को रोमांचक बना दिया है। सीएम चेहरा तय करने से पहले गठबंधन और सियासी समीकरणों में बड़ा फेरबदल संभव है।