
कश्मीर के पहलगाम इलाके की बैसरन घाटी में सोमवार को एक बर्बर आतंकी हमला हुआ। हमलावरों ने पहले टूरिस्टों से नाम और धर्म पूछा, कुछ को कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया और फिर निकट से गोली मार दी। कुछ पुरुषों के पैंट उतारकर प्राइवेट पार्ट्स की भी जांच की गई और फिर उन्हें भी गोली मार दी गई।
डिफेंस एक्सपर्ट्स इसे 1990 और 2000 की आतंकी रणनीतियों की वापसी बता रहे हैं, जहां भय और नफरत फैलाने के लिए धार्मिक पहचान को निशाना बनाया जाता था।
हमले की बड़ी बातें
आतंकियों ने बैसरन घाटी में टूरिस्टों के नाम और धर्म पूछकर गोली मारी
पुरुषों के कपड़े उतरवाकर प्राइवेट पार्ट्स की जांच के बाद हत्या
हमला ऐसे समय हुआ जब PM मोदी सऊदी अरब और US VP भारत में थे
‘The Resistance Front’ (TRF) ने ली हमले की जिम्मेदारी
डिफेंस एक्सपर्ट बोले: अब ISI चीफ और पाक आर्मी हेड जैसे टारगेट्स पर हो जवाबी एक्शन
हमले का टाइमिंग क्या बताता है?
रक्षा विशेषज्ञ ले. कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के मुताबिक़,
“हमले का वक्त बेहद सोच-समझकर चुना गया था – एक ओर प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में थे, दूसरी ओर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर। पाकिस्तान को भारत के इन दोनों रणनीतिक साझेदारों के साथ संबंधों की मज़बूती मंजूर नहीं है।”
कौन है ‘The Resistance Front’?
इस हमले की जिम्मेदारी ली है TRF (The Resistance Front) ने।यह संगठन वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट ग्रुप है, जिसे अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने डिजिटल ढंग से खड़ा किया था। TRF का संचालन शेख सज्जाद गुल करता है, जो पाकिस्तान में बैठा है। इसका मकसद है – भारतीय सुरक्षा तंत्र को गुमराह करना और लश्कर जैसे संगठनों को पर्दे के पीछे रखना।
अब क्या हो भारत की रणनीति?
डिफेंस एक्सपर्ट सोढ़ी का कहना है:
“अब वक्त आ गया है कि सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, पाकिस्तान के हाई वैल्यू टारगेट्स को निशाना बनाया जाए। चाहे वो ISI चीफ हो, आर्मी चीफ हो या राजनीतिक लीडर – जब तक पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब नहीं मिलेगा, ऐसे हमले नहीं रुकेंगे।”
पूर्व DGP एसपी वैद्य ने भी पाकिस्तान की फौज को सीधा ज़िम्मेदार ठहराते हुए उसकी “कमर तोड़ने” की सलाह दी।
दुनियाभर में संदेश देने की कोशिश
विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला केवल भारत के टूरिस्टों को डराने के लिए नहीं था, बल्कि यह इंटरनेशनल मैसेजिंग का हिस्सा है – कि कश्मीर में अशांति अभी खत्म नहीं हुई है।
1990 के दशक में जब बिल क्लिंटन भारत आने वाले थे, ठीक एक दिन पहले 35 सिखों की हत्या कर दी गई थी – यह हमला उसी तरह का है।
क्या कहती है सुरक्षा एजेंसियां?
गृह मंत्रालय और खुफिया सूत्रों के मुताबिक TRF:
पाकिस्तान की ISI और लश्कर-ए-तैयबा का संयुक्त प्रोजेक्ट है
सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों के ज़रिए युवाओं को रिक्रूट करता है
पिछले कुछ वर्षों में 100+ छोटे-बड़े हमलों में शामिल रहा है
निष्कर्ष: क्या अब भारत बदले की तैयारी में है?
भारत के सामने अब स्पष्ट सवाल है — क्या सिर्फ रक्षात्मक नीति से काम चलेगा या अब आक्रामक कूटनीति और सैन्य दबाव के रास्ते पर चलना होगा?
रक्षा विश्लेषकों की राय है – “पाकिस्तान को उसी की ज़ुबान में जवाब दो, नहीं तो ये चक्र चलता ही रहेगा।”