
बिहार के लोगों के लिए एक और खुशखबरी — अब सहरसा से मुंबई का सफर और भी आरामदायक, तेज़ और किफायती हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को मधुबनी से वर्चुअल रूप से अमृत भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। ये ट्रेन सहरसा से मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस तक चलेगी।
यह बिहार की दूसरी अमृत भारत ट्रेन होगी, जो राज्य को आधुनिक रेल कनेक्टिविटी की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाएगी। इस पहल से मिथिलांचल की संस्कृति अब सीधे मुंबई की ऊर्जा से जुड़ेगी — और इसके पीछे है भारतीय रेलवे का नया विज़न: आम आदमी के लिए प्रीमियम अनुभव।
क्या है अमृत भारत ट्रेन?
“अमृत भारत ट्रेन 2.0” भारतीय रेलवे की नई पेशकश है, जो खासतौर पर मिडिल क्लास और अंत्योदय यात्रियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। इसमें न केवल सफर आरामदायक है, बल्कि सुरक्षा और तकनीकी लिहाज़ से भी यह ट्रेन बेमिसाल है।
पहले से चल रही ट्रेनें:
दरभंगा–दिल्ली (अयोध्या होकर)
अब नई कड़ी: सहरसा–मुंबई
अमृत भारत ट्रेन की 10 बड़ी खासियतें
सीधी कनेक्टिविटी: मिथिलांचल से मुंबई तक बिना परेशानी सीधी यात्रा
कम किराया: 1000 किमी की यात्रा सिर्फ ~₹450 में
बेहतर तकनीक: LHB कोच, सेमी-ऑटोमैटिक काउपलर, फायर डिटेक्शन सिस्टम
गति: अधिकतम स्पीड 130 किमी/घंटा
डिज़ाइन: आकर्षक इंटीरियर, रेडियम लाइटिंग, स्नैक्स टेबल व मोबाइल चार्जिंग
सुरक्षा: इमरजेंसी टॉक बैक, क्रैश ट्यूब, EP ब्रेकिंग सिस्टम
साफ-सफाई: ऑटो फ्लश, ऑटो सोप डिस्पेंसर, फायर सप्रेशन सिस्टम
दिव्यांगजन के लिए: विशेष टॉयलेट की सुविधा
ऊर्जा दक्षता: पुश-पुल सिस्टम से इंजन दोनों सिरों पर
मेक इन इंडिया: कोच पूरी तरह देश में बने, स्वदेशी तकनीक से तैयार
सुरक्षा, सुविधा और स्थिरता — तीनों का संगम
ट्रेन के दोनों सिरों पर इंजन होने से यह न सिर्फ तेज़ी से गति पकड़ती है, बल्कि ब्रेकिंग भी तेज़ी से होती है। सभी कोच पूरी तरह सील्ड गैंगवे के साथ आते हैं। नॉन-एसी कोचों में भी पहली बार फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाया गया है।
साथ ही यात्रियों के लिए मोबाइल चार्जिंग पोर्ट, बॉटल होल्डर, हाई-कुशन सीट्स जैसी चीजें अब “सिर्फ एसी कोच का विशेषाधिकार” नहीं रहीं।
एक भारत, आधुनिक भारत की ओर
रेलवे का यह कदम सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, एक सोच का विस्तार है — जिसमें आम यात्रियों को भी खास अनुभव मिले। “सबका साथ, सबका विकास” के विजन के तहत, यह ट्रेन गरीब, मध्यम वर्ग और हर उस परिवार तक पहुंचने की कोशिश है जो अबतक लंबी दूरी की यात्रा को बोझ मानता था।
अब जब मिथिलांचल मुंबई से सीधे जुड़ रहा है, तो यह सिर्फ रेल कनेक्शन नहीं, बल्कि संस्कृति, रोजगार और अवसरों का नया मार्ग भी है।