क्या पहलगाम हमला एक सोची-समझी साजिश? जानिए कब-कब आतंकी हमलों में निशाना बने पर्यटक और तीर्थयात्री

कश्मीर रीजन में पहलगाम के बैसरन गांव में आतंकियों ने कायराना हमला किया है. पर्यटकों के एक ग्रुप को निशाना बनाकर आतंकियों ने कई राउंड फायरिंग की. इसमें एक पर्यटक की मौत हो गई है. 7 अन्य घायल बताए जा रहे हैं, जिनका इलाज चल रहा है. हमले में जिंदा बची एक महिला ने बताया कि उसके पति के सिर में गोली लगी है. उधर, सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर आतंकियों के खात्मे के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इसे सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम अंजाम दे रही है.

बता दें कि कश्मीर घाटी में कमर टूटने के बाद आतंकवादी और सीमा पार बैठे उनके आका बौखलाए हुए हैं. बीते महीने ही हंदवाड़ा में पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्ला मारा गया था. यही वजह है कि अब आतंकी पर्यटकों को निशाना बनाकर दहशत फैलाना चाहते हैं. इस हमले की टाइमिंग और लोकेशन भी इसकी तस्दीक करती है. आतंकियों ने जुलाई में शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले पहलगाम में हमला करके खौफ पैदा करने की कोशिश की है. ये पहली दफा नहीं है जब आतंकियों ने पर्यटकों या तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया हो. आइए जानते हैं कब-कब आतंकियों ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं को निशाना बनाया. साथ ही ये भी जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर आतंकी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को निशाना क्यों बनाते हैं.

18 मई 2024: कश्मीर में एक कपल पर फायरिंग
बीते साल जयपुर से आए एक कपल को आतंकियों ने श्रीनगर में निशाना बनाकर फायरिंग की थी. ये आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर में चुनावों से ठीक पहले हुआ था, जो कि पाकिस्तान परस्त आतंकवाद की लोकतंत्र से बौखलाहट की तस्दीक करता है.

9 जून 2024: रियासी में बस पर हमला
अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद जाकिर मूसा, हमीद लहरी, बुरहान कोका, अब्बास गाजी, रियाज नाइकू, हुर्रियत नेता अशरफ सेहराई का आतंकी बेटा जुनैद सेहराई, गाजी हैदर और बासित अहमद डार जैसे बड़े आतंकवादी मारे गए हैं और आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है. यही वजह है कि अब सीमा पार से जम्मू रीजन को लगातार निशाना बनाने की साजिशें रची जा रही हैं. साजिश की इसी कड़ी में आतंकियों ने रियासी जिले में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस हमले में 9 लोग मारे गए और 33 घायल हुए थे.

14 नवंबर 2005 श्रीनगर में बड़ा हमला
श्रीनगर के लाल चौक इलाके में ‘पल्लाडियम सिनेमा’ के सामने फिदायीन हमला हुआ था. इसमें सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हुए थे. इसके अलावा 2 नागरिक भी मारे गए थे. इसमें एक जपानी पर्यटक समेत 17 लोग घायल हुए थे.

4 जुलाई 1995: पहलगाम में पर्यटकों का अपहरण
पहलगाम के लिद्दरवाट में आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार के आतंकवादियों ने छह विदेशी पर्यटकों और दो गाइड का अपहरण कर लिया था. इसमें पर्यटक अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, जर्मनी के थे. एक पर्यटक क्रिश्चियन ऑस्ट्रो की हत्या कर दी थी. इस नापाक और कायराना अपहरण कांड को आतंकियों ने मसूद अजहर और अन्य आतंकियों की रिहाई की मांग के लिए अंजाम दिया था. ये वो दौर था जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद चरम पर था. इस दौरान घाटी में कई आतंकी संगठन सक्रिय थे.

साल 2000: अनंतनाग और डोडा में हमले
साल 2000 में आतंकियों ने कश्मीर के अनंतनाग और जम्मू रीजन के डोडा जिल में अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को निशाना बनाया था. इन हमलों को 1 और 2 अगस्त को अंजाम दिया गया था, जिसे जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश दहल उठा था. अनंतनाग और डोडा जिले में पांच हमलों में करीब 100 लोग मारे गए थे. 2 अगस्त को पहलगाम के नुनवान बेस कैंप को भी आतंकियों ने निशाना बनाया था. इस हमले में 21 तीर्थयात्री, 7 स्थानीय दुकानदार और 3 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.

20 जुलाई 2001: तीर्थयात्रियों के एक कैंप पर हमला
अमरनाथ हिमनद गुफा मंदिर के पास शेषनाग झील में तीर्थयात्रियों के एक कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था. इसमें 13 लोग मारे गए थे और 15 घायल हुए थे. हमले में जान गंवाने वालों में 8 तीर्थयात्री, 3 स्थानीय नागरिक और 2 सुरक्षाकर्मी शामिल थे.

पर्यटकों और श्रद्धालुओं को निशाना क्यों बनाते हैं आतंकी?
कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है. आतंकी जब पर्यटकों को निशाना बनाते हैं तो इससे सबसे पहले बाहर से आने वाले लोगों में दहशत फैलती है. पर्यटक घाटी आने से कतराने लगते हैं. इतना ही नहीं होटल, टैक्सी, गाइड जैसे रोजगार से जुड़े हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ता है.

अस्थिरता बनाए रखनी की साजिश
आजादी के बाद से पाकिस्तान कश्मीर को अशांत करने की अपनी साजिशों से बाच नहीं आ रहा है. इसके लिए ही वो आतंकवाद का पालन-पोषण करता है. सीमा पार से आतंकी संगठनों का मकसद होता है कि कश्मीर में अमन-शांति न हो. अगर पर्यटक बड़ी संख्या में आएंगे तो ये दुनिया में ये संदेश जाएगा कि कश्मीर शांत और सामान्य स्थिति में है.

सरकार और सुरक्षाबलों को चुनौती देना
पर्यटकों पर हमला करके आतंकी साजिश के तहत ये संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर अभी भी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है. इसके सहारे आतंकियों को पालने वाला पाकिस्तान बड़े मंचों पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश करता है. हालांकि, उसका चरित्र पहले से ही उजागर हो चुका है और हर बार उसे मुंह की खानी पड़ती है.

स्थानीय लोगों और सरकार के बीच अविश्वास बढ़ाने की साजिश
कश्मीर घाटी के स्थानीय लोगों को पर्यटन से बड़ी रोजगार मिलता है. जो कि पाकिस्तान और उसके पाले आतंकी संगठनों को रास नहीं आता. आतंकी नहीं चाहते कि स्थानीय लोग भारत सरकार के साथ जुड़ाव महसूस करे.

 

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