इस्लाम की नजर में सास और दामाद का रिश्ता कैसा होना चाहिए? जानिए क्या है इसका सही स्वरूप

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की एक सास और दामाद की लव स्टोरी इस समय सुर्खियां बटोर रही है. जहां दामाद को 16 अप्रैल को बारात लेकर पहुंचना था, लेकिन इससे 10 दिन पहले ही दामाद अपनी ही सास के साथ भाग गया. इस लव स्टोरी के सामने आने के बाद यह सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गई है. सभी लोग सास और दामाद के इस रिश्ते पर अपनी-अपनी राय सामने रख रहे हैं.

कई लोगों ने इस रिश्ते के खिलाफ कहा है कि इस ने सास और दामाद के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया. कुछ लोगों का कहना है कि सास और दामाद के बीच मां और बेटे का रिश्ता होता है. दोनों के बीच इस तरीके का संबंध होना सही नहीं है. जहां एक तरफ लोगों की इस तरह के रिलेशनशिप को लेकर अलग-अलग राय है. वहीं, चलिए जानते हैं कि इस्लाम सास और दामाद के रिश्ते को लेकर क्या कहता है. इस्लाम क्या कहता है कि सास और दामाद के बीच किस तरह का रिश्ता होना चाहिए.

इस्लाम इस रिश्ते को कैसे देखता है
इस्लाम के अनुसार एक दामाद और सास में मां और बेटे जैसा रिश्ता होता है. बेटी की शादी के बाद उसका पति यानी दामाद एक सास के लिए अपने खुद के बेटे की तरह होता है. वो दामाद के लिए उतनी ही अहम हो जाती है जैसे उसकी खुद की मां और दामाद को सास को उतनी ही इज्जत और एहतराम देना चाहिए जैसे वो अपनी मां को देता है. इस बात का सीधा से मतलब अगर समझे तो साफ है कि जब इस्लाम ने सास को दामाद के लिए मां के बराबर समझा है तो दोनों के बीच किसी भी तरह के संबंध का सवाल ही पैदा नहीं होता है.

सास और दामाद कर सकते हैं निकाह?
अलीगढ़ से हाल ही में सामने आई दामाद और सास की लव स्टोरी में अब नया एंगल निकल कर आया है. हाल ही में सास सपना ने अलीगढ़ में सरेंडर कर दिया है. इसी मौके पर सास ने दामाद राहुल से अपने रिश्ते को लेकर बड़ी बात की है. सास से जब उसके पति को बिना तलाक दिए, राहुल के साथ रहने और भाग जाने को लेकर सवाल किया गया तो उसने कहा, मैं फिर भी राहुल के साथ ही शादी करूंगी. अब जितेंद्र के घर लौटकर वापस नहीं जाऊंगी. जहां एक तरफ सास सपना दामाद राहुल से शादी करना चाह रही है. वहीं, चलिए जानते हैं कि क्या इस्लाम में एक सास अपने ही दामाद से शादी कर सकती है?

क्या सास और दामाद के बीच इस्लाम में शादी हो सकती है? क्या उन दोनों के बीच निकाह हो सकता है? कई लोगों ने कभी इस सवाल को लेकर सोचा भी नहीं होगा, लेकिन अब जब एक केस ऐसा सामने आ गया है तो इसको लेकर जानना जरूरी है. इस सवाल का जवाब देते हुए मुफ़्ती तारिक मसूद बताते हैं कि दामाद के लिए सास मां की जगह होती है इसीलिए उससे निकाह हराम है. उन्होंने आगे कहा, अगर दामाद अपनी पत्नी को तलाक दे दें या उसकी पत्नी की मौत हो जाए तो भी सास से निकाह नहीं हो सकता है.

इस मामले को लेकर एडवोकेट फैज सयैद कहते हैं कि सास और दामाद का ऐसा रिश्ता है जिनका कभी निकाह नहीं हो सकता है. एक बार कोई शख्स किसी की बेटी से निकाह कर ले, तलाक भी दे दें तो भी वो अपनी सास से पूरी जिंदगी में कभी निकाह नहीं कर सकता है.

क्या दामास से सास को करना होता है पर्दा?
यह समझने से पहले कि इस्लाम में सास को दामाद से पर्दा करना है या नहीं पहले यह जानना जरूरी है कि महरम क्या होता. किसी भी औरत के लिए महरम वो होता है जिससे उसका कभी निकाह नहीं हो सकता, वो शख्स जिससे उसकी कभी शादी नहीं हो सकती. दरअसल, इस्लाम के मुताबिक सास के लिए दामाद महरम है. सास कभी भी उससे निकाह नहीं कर सकती है, इसी के चलते सास को अपने दामाद से पर्दा करना नहीं आया है.

इसको लेकर एडवोकेट फैज कहते हैं कि सास और दामाद का निकाह नहीं हो सकता है, इसीलिए सास जो है वो दामाद के लिए महरम होती है. उससे उसको पर्दा करने की जरूरत नहीं है, लेकिन साथ ही कहा गया है कि सास अगर जवान हो तो एहतियात बरतना जरूरी है. इसी तरह बहू के लिए भी ससुर महरम होता है उसको उन से पर्दा करने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन किसी भी तरह के रिश्ते से बचने के लिए सावधानी रखने की जरूरत होती है.

जब सास के लिए दामाद महरम होता है तो इसी के बाद सास दामाद के साथ हज और उमराह के लिए भी जा सकती है और किसी भी सफर पर साथ जा सकती है, लेकिन यहां भी यह बताया गया है कि दोनों को सावधानी बरतना जरूरी है.

संबंध बन गया तो क्या होगा?
अब यहां सवाल उठता है कि अगर एक सास और दामाद के बीच रिश्ता बन जाता है तो फिर इस्लाम इसको लेकर क्या कहता है. मुफ्ती तारीक मसूद इस सवाल का जवाब देते हैं. वो कहते हैं कि पहली बात तो यह कि इस्लाम इस चीज की इजाजत नहीं देता है. एक सास अपने दामाद के लिए मां की तरह है, लेकिन फिर भी अगर एक सास और दामाद के बीच शारीरिक रिश्ते बन जाते हैं तो दामाद के लिए अपनी पत्नी यानी उस औरत की बेटी हराम हो जाएगी.

क्या सास इद्दत में दामाद के सामने आ सकती है?
इस्लाम में जब किसी महिला के पति की मौत हो जाए या फिर वो अपने पति से तलाक ले लेती है तो महिला को इद्दत में बैठना होता है. इद्दत एक ऐसा समय होता है जब महिला 4 महीने 10 दिन तक घर में ही रहती है, किसी भी तरह से सजवती-संवरती नहीं है. पर्दा करती है. तलाक की सूरत में 3 महीने तक इद्दत होती है. इस टाइम पर औरत घर से बाहर नहीं निकल सकती. इद्दत के समय महिलाएं गैर-महरम (जिन से उनका निकाह हो सकता हो) से पर्दा करती हैं. उन के सामने नहीं आती हैं. हालांकि, जहां तक सास की इद्दत के दौरान दामाद के सामने आने की बात है, तो सास इद्दत के पीरियड में भी दामाद के सामने आ सकती है, क्योंकि दामाद को इस्लाम सास के लिए बेटे के बराबर ही मानता है.

 

 

 

 

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