न्यू पम्बन ब्रिज: चक्रवातों को मात देने वाला आधुनिक चमत्कार, जानिए इसकी खास खूबियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में जिस नए पंबन पुल का उद्घाटन किया गया, वह 1964 के तूफान से भी अधिक शक्तिशाली चक्रवातों को झेल सकता है. पुराने पुल को चक्रवात ने काफी नुकसान पहुंचाया था. रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के निदेशक (संचालन) एमपी सिंह ने कहा कि इस पुल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 230 किमी प्रति घंटे की हवा की रफ्तार के साथ-साथ भूकंप के तेज झटकों को झेल सकने में सक्षम होगा.

उन्होंने बताया कि 1964 के चक्रवात की रफ्तार लगभग 160 किलोमीटर प्रति घंटा थी और इससे पुराने पुल को काफी नुकसान पहुंचा था. हालांकि, शेरजर स्पैन, जो जहाज की आवाजाही के लिए खोला जाता था, चक्रवात से बच गया और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

तेज चक्रवात से भी पुल कोई नुकसान नहीं
पहले वर्टिकल लिफ्ट स्पैनर पुल की योजना, डिजाइन, क्रियान्वयन और इसकी शुरुआत के लिए आरवीएनएल को जिम्मेदारी दी गई. एमपी सिंह ने कहा कि यह उन प्रमुख कारकों में से एक था जिसने डिजाइन चरण में हमें चुनौती दी. उन्होंने कहा कि हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए हैं कि तेज चक्रवात भी पुल को कोई नुकसान न पहुंचा सकें.

पानी के गर्डर तक पहुंचने की संभावना कम
इसके अलावा, कुछ सुरक्षा प्रोटोकॉल भी हैं. उदाहरण के लिए, लिफ्ट स्पैनर हर समय झुकी हुई स्थिति में रहेगा और इसे केवल जहाजों की आवाजाही के समय ही उठाया जाएगा. एमपी सिंह ने कहा कि कंक्रीट के खंभों पर रखे गर्डर समुद्र के जल स्तर से 4.8 मीटर ऊंचे हैं, इसलिए ऊंची लहर उठने की स्थिति में भी, पानी के गर्डर तक पहुंचने की आशंका लगभग नगण्य है.

1964 में आया था भीषण चक्रवाती तूफान
उन्होंने कहा कि पुराने पुल का गर्डर समुद्र के जल स्तर से 2.1 मीटर ऊंचा था. इसलिए ऊंची लहरें उठने के दौरान पानी न केवल गर्डर पर बल्कि कभी-कभी ट्रैक पर भी चला जाता था. रामेश्वरम में 22 दिसंबर 1964 को आये भीषण चक्रवाती तूफान ने क्षेत्र के साथ-साथ रेल नेटवर्क को भी तबाह कर दिया था. रेल मंत्रालय ने इस त्रासदी का ब्यौरा साझा करते हुए कहा कि छह डिब्बों वाली पंबन-धनुषकोडी यात्री ट्रेन 22 दिसंबर को रात 11.55 बजे पंबन से रवाना हुई थी, जिसमें छात्रों के एक समूह और रेलवे के पांच कर्मचारियों सहित 110 यात्री सवार थे.

हादसे में क्या हुआ था?
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पंबन के पुल निरीक्षक अरुणाचलम कुमारसामी ट्रेन संचालित कर रहे थे. धनुषकोडी आउटर पर सिग्नल गायब हो गया और ट्रेन कुछ देर के लिए रुक गई. ड्राइवर ने जोखिम उठाने का फैसला किया और देर तक सीटी बजाई. मंत्रालय ने कहा कि तभी समुद्र से 20 फुट ऊंची लहर उठी और ट्रेन से जा टकराई. हालांकि शुरुआती रिपोर्ट में मृतकों की संख्या 115 बताई गई थी (पंबन में जारी टिकटों की संख्या के आधार पर), लेकिन आशंका थी कि मृतकों की संख्या 200 के आसपास रही होगी, क्योंकि उस रात कई यात्रियों ने बिना टिकट यात्रा की थी.

ट्रेन डिब्बों के बड़े-बड़े टुकड़े बहे
यह त्रासदी 25 दिसंबर को तब प्रकाश में आई जब दक्षिणी रेलवे ने मंडपम के समुद्री अधीक्षक से प्राप्त सूचना के आधार पर एक बुलेटिन जारी किया. मंत्रालय ने कहा कि ऐसी खबरें आई थीं कि ट्रेन डिब्बों के बड़े-बड़े टुकड़े बहकर श्रीलंका के तट पर पहुंच गए. ट्रेन दुर्घटना के अलावा, द्वीप पर 500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. मंत्रालय ने कहा कि सभी संचार व्यवस्था बाधित हो गई. पंबन वायडक्ट बह गया, केवल खंभे, कुछ पीएससी गर्डर और लिफ्टिंग स्पैन ही बचे थे.

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