
झारखंड के पलामू जिले में स्थित देवी धाम में हर साल लगने वाला अनोखा ‘भूत मेला’ आस्था, रहस्य और परंपरा का अद्भुत संगम है. एक ओर यहां देवी मां की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है. वहीं दूसरी ओर जिन लोगों पर भूत-प्रेत का साया होता है उनके अंदर की बुरी शक्तियां यहां पहुंचते ही विचित्र हरकतें करने लगती हैं. खास बात यह है कि इस मंदिर परिसर में देवी मंदिर के ठीक समीप एक जिन्न बाबा की मजार भी है. यहां दोनों धर्मों के लोग अपनी-अपनी श्रद्धा से मत्था टेकते हैं. यह स्थल न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी पेश करता है.
पलामू जिले के हैदरनगर में स्थित देवी धाम मंदिर जिसे शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है. देवी मंदिर के प्रांगण में स्थित विशाल अग्निकुंड बहुत प्रसिद्ध है. मान्यता है कि जिन लोगों पर भूत-प्रेत या काले जादू का साया होता है, वे जैसे ही इस अग्निकुंड के समीप पहुंचते हैं तो उनके शरीर में मौजूद बुरी शक्तियाँ सक्रिय हो जाती हैं और वे अजीबो-गरीब हरकतें करने लगते हैं. कई बार यह दृश्य इतना भयावह होता है कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
देश भर से आते हैं लोग
चैत्र नवरात्र के मौके पर लगने वाले इस भूत मेले में काले जादू से पीड़ित लोग अपनी समस्या से निजात पाने के लिए हजारो की संख्या में इस अनोखे मेले में आते हैं. मिली जानकारी के मुताबिक मेले की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां न सिर्फ झारखंड बल्कि ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
सिंदूर, चुनरी और नारियल से होती है देवी मां की पूजा
यहाँ पहुंचने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि देवी मां की कृपा से शरीर में छुपी हुई बुरी शक्तियाँ हमेशा के लिए निकल जाती हैं और व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. यहां महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी मां को सिंदूर, चुनरी और नारियल अर्पित करती हैं. इसके अलावा प्रसाद के रूप में एक विशेष प्रकार की बिना तेल की चीनी की मिठाई चढ़ाई जाती है.
100 वर्षों से पुराना है मेले का इतिहास
आधुनिकता के इस दौर में ऐसे भूत प्रेत और अंधविश्वास को लेकर नवरात्र के अवसर पर हजारों की संख्या में पहुंचने वाले लोगों की हैदरनगर के देवी धाम पर अटूट श्रद्धा और आस्था है. अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास ये सब विश्वास के ऊपर है. लेकिन पिछले 100 वर्षों से ज्यादा लंबे समय से इस अनोखे मेले का आयोजन होता आ रहा है.