
न्यायाधीश यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार में मंत्री और भाजपा नेता को राउज एवेंन्यू कोर्ट से मंगलवार को झटका लगा है। कोर्ट ने मंत्री कपिल मिश्रा और अन्य के खिलाफ 2020 के दिल्ली दंगों में उनकी कथित विभिन्न भूमिकाओं की जांच के लिए सुनवाई का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन स्वीकार कर लिया है।
दंगों के दौरान इलाके में थे कपिल मिश्रा
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने इसे प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध पाया, जिसमें उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश ने कहा कि यह साफ है कि दंगों के दौरान कपिल इलाके में थे। इसमें आगे जांच की जरूरत है।
मोहम्मद इलियास ने दायर की है याचिक
न्यायाधीश यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी, जिसका दिल्ली पुलिस ने विरोध किया और दावा किया कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी।
कौन हैं कपिल मिश्रा?
कपिल मिश्रा का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में 13 नवंबर 1980 को हुआ था। उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा भाजपा नेता रही हैं। वे पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रहीं। भाजपा में कपिल मिश्रा को हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में देखा जाता है। कपिल मिश्रा ने भाजपा के टिकट से करावल नगर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के मनोज कुमार त्यागी को 23,355 वोटों से हराया।
आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे हैं कपिल मिश्रा
अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहने वाले कपिल मिश्रा को 2015 में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार में जल और पर्यटन मंत्री बनाया गया था। लेकिन केजरीवाल और सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद उन्हें मंत्रालय हटा दिया गया था।
आप से बगावत के बाद भाजपा में पहुंचे
कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। जिसकी शिकायत उन्होंने एसीबी में भी शिकायत की थी। लेकिन मिश्रा इसे साबित करने में असफल रहे। जिसके बाद कपिल मिश्रा को आम आदमी पार्टी ने पहले मंत्री पद से हटाया और उसके बाद पार्टी से भी बाहर कर दिया। 2019 में कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था।