
महाविनाशक भूकंप की वजह से म्यांमार और थाईलैंड थर्रा गया है. जनहानि को देखते हुए थाईलैंड में इमरजेंसी की घोषणा की गई है. म्यांमार में भी सरकार एक्टिव हो गई है. भूकंप की वजह से अमेरिका ने हजारों लोगों के मरने की आशंका जाहिर की है. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 दर्ज की गई है. दोनों ही देश भारत के पड़ोस में है. ऐसे में यहां भारतीयों की तादाद भी काफी ज्यादा है.
बात पहले म्यांमार की
म्यांमार जो कभी बर्मा था में भारतीय सदियों से रहते हैं. ब्रिटिश-औपनिवेशिक शासन के दौरान बर्मा में भारतीयों की आवाजाही में तेजी आई. लोग काम के सिलसिले में यहां जाने लगे. इतना ही नहीं, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को भी बर्मा की जेलों में भेजा जाने लगा.
बर्मा में वर्तमान में करीब 20 लाख लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी तरीके से भारत से जुड़े हैं. यानी इन 20 लाख लोगों की जड़ें भारत में ही है. यह कुल आबादी का करीब 5 प्रतिशत है. पूर्वोतर भारत का मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमा म्यांमार से लगती है.
म्यांमार में बसे अधिकांश भारतीय या तो मणिपुरी या तमिल की भाषा बोलते हैं. इन भारतीयों को बर्मा भारतीय भी कहा जाता है.
अब बात थाईलैंड की
थाईलैंड में वैसे तो 2 लाख भारतीय रहते हैं, लेकिन स्थाई तौर पर सिर्फ 65 हजार भारतीय ही थाईलैंड में रहते हैं. अधिकांश भारतीय सालों से काम के सिलसिले में यहां रहते हैं. भारत के ज्यादातर लोग थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में रहते हैं.
थाईलैंड में चीन के प्रवासियों का दबदबा है. एक अनुमान के मुताबिक यहां पर करीब 1.5 करोड़ चीनी रहते हैं. थाईलैंड में करीब 7 करोड़ लोग रहते हैं. थाईलैंड को टूरिस्ट कंट्री माना जाता है.
थाईलैंड भारत के साथ जमीनी सीमा को तो नहीं शेयर करता है लेकिन दोनों देशों के बीच जल सीमा जरूर है. भारत और थाईलैंड अंडमान सागर में समुद्री सीमा साझा करते हैं. यहां पर भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तो थाईलैंड के सिमिलन द्वीप समूह की सीमा एक है.