
West Bengal RSS: अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले RSS ने भाजपा के लिए बड़ी जमीन तैयार कर दी है. पिछले दो वर्षों में RSS ने जो मेहनत की है उसके नतीजे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है.पश्चिम बंगाल में RSS की मेहनत के नतीजे दिखने लगे हैं. पिछले 2 वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने प्रांतों में जबरदस्त शाखाओं में वृद्धि हासिल की है. खास तौर पर बंगा प्रांत में स्वंयसेवकों की मेहनत को सराहा जा रहा है. एक जानकारी के मुताबिक पिछले 2 वर्षों (2023-2025) में बीच यहां 500 नई शाखाएं बनाई हैं. जिसे संघ के अंदर एक बड़े इजाफे के तौर पर देखा जा रहा है. बंगाल में RSS के तीन प्रमुख प्रांत हैं – उत्तर बंगा प्रांत, मध्य बंगा प्रांत और दक्षिण बंगा प्रांत. उत्तर बंगा प्रांत में उत्तर बंगाल के जिले आते हैं, मध्य बंगा में पूर्व व पश्चिम बर्दवान, बीरभूम, बांकुड़ा, मुर्शिदाबाद और पुरुलिया शामिल हैं, जबकि दक्षिण बंगा प्रांत में दक्षिण बंगाल के जिले आते हैं.
किस प्रांत में कितनी शाखाएं बढ़ीं?
वैसे तो सभी प्रांतों में शाखाओं की तादाद में इजाफा हुआ है लेकिन लेकिन मध्य बंगा में होने वाली वृद्धि काबिले गौर है. 2023 में उत्तर बंगा में शाखाओं, मिलनों और मंडलियों की कुल तादाद 1034 थी, जो 2024 में 1041 और 2025 में 1153 तक पहुंच गई. मध्य बंगा में यह तादाद 2023 में 1320 थी, जो 2025 में बढ़कर 1823 हो गई. इसी तरह दक्षिण बंगा में 2023 में 1206 शाखाएं थीं, जो 2025 में बढ़कर 1564 हो गईं.
हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र के बाद बंगाल में की मेहनत
राजनीतिक हलकों में RSS की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है. हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसकी सक्रियता दिखी है और अब बंगाल में भी इसका प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. मध्य बंगा में शाखाओं तेजी से बढ़ोतरी को देखते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने फरवरी में अपने 11 दिवसीय बंगाल प्रवास के दौरान बर्दवान में एक खुली बैठक का भी आयोजन किया था.
भाजपा के लिए खुशखबरी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सूत्रों का मानना है कि शाखाओं की तादाद में इजाफे का राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है. पूर्व क्षेत्र प्रचार प्रमुख जीष्णु बसु ने बताया कि मध्य बंगा की शाखाओं ने काफी मेहनत की है. पहले यह इलाका दक्षिण बंगा प्रांत का हिस्सा था, हालांकि अब अलग प्रांत के तौर पर इसकी गतिविधियां तेज हो गई हैं. उन्होंने कहा कि छोटे समूहों की बैठकें और रैलियां लगातार आयोजित की जा रही हैं.
चुनावी नतीजों पर पड़ेगा असर
मध्य बंगा प्रांत के जिले जैसे पूर्व व पश्चिम बर्दवान, बीरभूम, बांकुड़ा और पुरुलिया वे इलाके हैं, जहां BJP ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन 2024 में उतनी सफलता नहीं मिली. अब यह देखना होगा कि RSS शाखाओं की बढ़ती तादाद भविष्य में होने वाले चुनावी नतीजों को कितना प्रभावित करती है.
हिंदुत्व की जड़ों की तरफ लौट रहे लोग
RSS मध्य बंगा प्रांत के प्रचार प्रमुख सुषवन मुखर्जी का कहना है कि वर्तमान माहौल लोगों को हिंदुत्व की जड़ों की तरफ लौटने के लिए प्रेरित कर रहा है. इसी वजह से शाखाओं में आने वाले स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ रही है. इसके अलावा RSS ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की है और इस मसले पर भारत में जागरूकता फैलाने की योजना पर भी काम हो रहा है. RSS के इस फैसले का असर बंगाल में देखने को मिल सकता है.