
उत्तर प्रदेश की सियासत में बीजेपी खुलकर हिंदुत्व के पिच पर खड़ी नजर आ रही. योगी सरकार ने हिंदुत्व के एजेंडे पर आक्रामक तेवर अपना रखा है, जिसे लेकर बीजेपी की सहयोगी आरएलडी बेचैन नजर आ रही है. बीजेपी के साथ वैचारिक तालमेल आरएलडी प्रमुख व मोदी सरकार में मंत्री जयंत चौधरी नहीं बैठा पा रहे हैं. मुसलमानों के खिलाफ सरकार या फिर बीजेपी से उठने वाली आवाज के खिलाफ जयंत चौधरी भले ही खुलकर अलोचना न कर रहे हों, लेकिन इशारों-इशारों में सियासी संदेश जरूर दे रहे हैं. ऐसे में क्या ये जयंत की मजबूरी है या आरएलडी की पश्चिमी यूपी की पॉलिटिक्स के लिए जरूरी है?
लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. बीजेपी से गठबंधन करने के चलते आरएलडी के दो लोकसभा सांसद जीतने में कामयाब रहे और जयंत चौधरी केंद्र सरकार में मंत्री भी बन गए और यूपी में भी उनकी पार्टी का एक मंत्री बन गया, लेकिन बीजेपी के साथ वैचारिक तालमेल नहीं बैठ पा रहा. बीजेपी साथ गठबंधन में रहते हुए जयंत चौधरी मुस्लिम समाज को अपने से दूर नहीं करना चाह रहे हैं. इसीलिए योगी प्रशासन की तरफ उठ रही आवाज हो या फिर बीजेपी नेताओं के मुस्लिम विरोधी बयान, जयंत चौधरी उन सभी का अपने अंदाज में जवाब दे रहे हैं?
योगी प्रशासन पर जयंत का करारा हमला
यूपी में अलविदा की जुमे की नमाज और ईद उल फितर पर नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन ने मुसलमानों को सख्त चेतावनी जारी की है. मेरठ एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने कहा कि सड़क पर नमाज अदा करने पर पुलिस प्रशासन का रवैया सख्त रहेगा. सड़क पर नमाज पढ़ने वालों पर सिर्फ मुकदमा ही दर्ज नहीं किया जाएगा बल्कि उनके पासपोर्ट और लाइसेंस भी रद्द होंगे. एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि सड़क पर नमाज अदा करने पर पिछली बार भी 200 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. सार्वजनिक सड़कों को धार्मिक समारोहों से मुक्त रखने के लिए ड्रोन और वीडियो कैमरों सहित अतिरिक्त निगरानी उपाय किए जाएंगे.
ईद की नमाज को लेकर मेरठ प्रशासन के फरमान लेकर जयंत चौधरी ने सख्त अलोचना की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ‘ऑरवेलियन 1984 की ओर पुलिसिंग’! जयंत चौधरी ने एक लाइन के ट्वीट से योगी सरकार के पुलिस व्यवस्था पर तगड़ा हमला किया है. जयंत चौधरी कह रहे हैं कि मौजूदा पुलिसिंग या शासन व्यवस्था वैसी हो गई है, जैसा कि जॉर्ज ऑरवेल की उपन्यास 1984 में बताया गया है. जिसमें एक निरंकुश सरकार होती है, जो लोगों के हर गतिविधि नजर रखती है और उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश करती है. सच को दबाने वााली और आजादी का दमन करने वाली सरकार बताया गया है. इस तरह उन्होंने योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
मेरठ पुलिस के फरमान पर आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कुलदीप उज्जवल ने कहा कि प्रशासन का फैसला ओरवेलियन स्टेट की ओर बढ़ता कदम है, जो नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. धार्मिक स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है, और इसे इस प्रकार से दबाने की कोशिश अलोकतांत्रिक है. उन्होंने कहा कि सरकारी तंत्र सभी धर्मों के त्योहारों को एक समान नजरिए से देखना चाहिए और बिना भेदभाव के व्यवस्था बनानी चाहिए, लेकिन यूपी प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में है. पुलिस -प्रशासन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत हैं और सभी समुदायों के साथ समन्वय बनाकर सौहार्दपूर्ण माहौल सुनिश्चित करना चाहिए. आरएलडी इस तरह के सरकारी फरमान के सख्त खिलाफ है, जिसे किसी भी सूरत में सही नहीं कहा जा सकता है
बीजेपी नेताओं को जयंत चौधरी की नसीहत
पिछले दिनों बीजेपी की विधायक केतकी सिंह ने मुसलमानों के खिलाफ एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बलिया में बन रहे मेडिकल कॉलेज में मुसलमानों के लिए अलग से एक वार्ड बना देना चाहिए. केतकी सिंह ने कहा थी मुसलमानों को होली, रामनवमी, दुर्गा पूजा में दिक्कत होती है. ऐसे में हो सकता है कि हमारे साथ इलाज करवाने में भी उनको परेशानी हो. ऐसे में योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि मुसलमान के लिए अलग से वार्ड बना दें, जहां पर वो जाकर अपना इलाज करवाएं.अगर मुसलमानों के लिए अलग से विंग होगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे. पता नहीं कौन हमारे खाने में थूक दे.
मुसलमानों के लिए अलग से वार्ड बनाने वाले बयान पर जयंत चौधरी ने बीजेपी विधायक पर जबरदस्त तरीके से तंज कसा था. जयंत ने कहा था कि मोहतरमा, इलाज की जरूरत तो है. इतना ही नहीं आरएलडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि बीजेपी विधायक केतकी सिंह को अपने विधानसभा की व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए, वरना जनता उनका इलाज कर देगी.
बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम ने हाल ही में मेरठ की एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि मथुरा और काशी में मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट का सहारा नहीं लिया जाएगा, बल्कि बाबरी मस्जिद की तरह जनता स्वयं इसे ध्वस्त करेगी और मंदिर बनाएगी. उन्होंने कहा खि क्या जब औरंगजेब से हमारे मंदिर तोड़े थे तो वो कोर्ट की शरण में गया तो फिर आज भी लोगों को कोर्ट में जाने की ज़रूरत नहीं है और अपने मंदिर बनाने की जरूरत है. जैसे हमारे साथ हुआ था आज लोग भी उसी पर उतारू हैं. संगीत सोम के बयान की भी आरएलडी ने सख्त अलोचना करते हुए पश्चिमी यूपी के माहौल खराब करने की बात कही थी.
बीजेपी के साथ जयंत की सियासी केमिस्ट्री?
आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने भले ही बीजेपी के साथ दोस्ती कर रखी हो, लेकिन सियासी केमिस्ट्री नहीं बन पा रही है. योगी प्रशासन का मुस्लिमों के प्रति रवैया हो या फिर बीजेपी नेताओं के मुस्लिम विरोधी बयान, जयंत चौधरी उससे सहमत नहीं है. जयंत चौधरी बीजेपी से गठबंधन जरूर कर रखी है, लेकिन साथ ही अपने सियासी समीकरण का भी ख्याल रख रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी के हिंदुत्व पॉलिटिक्स के साथ कदमताल नहीं मिला पा रहे हैं और इशारों-इशारों में करारा जवाब भी रहे हैं. बीजेपी विधायक के बयान हों या फिर मेरठ पुलिस का फरमान, जयंत ने कड़ा प्रहार कर सियासी संदेश देने की कवायद की है.
योगी सरका ने सावन महीने में कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी दुकानदारों से नेम प्लेट पर अपने-अपने नाम लिखने का फरमान जारी किया था. इतना ही नहीं ठेले पर फल या फिर अन्य समान बेचने वालों से भी नाम लिखने के लिए कहा गया था. इसे लेकर सियासत गर्मा गई थी, जिस पर आरएलडी ने सख्त एतराज जताते हुए फरमान वापस लेने की बात कही थी. जयंत चौधरी ने कहा सवाल उठाते हुए कहा था कि कहां-कहां नाम लिखे क्या अब कुर्ते में भी नाम लिखना शुरू कर दे क्या ताकि देख कर ये तय किया जा सके कि हाथ मिलाना है या गले लगाना है. रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने योगी सरकार के फैसले को गैर-संवैधानिक बताते हुए कहा था कि यह फैसला जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला है. इसे वापस लिया जाना चाहिए.
आरएलडी की क्या सियासी मजबूरी?
बीजेपी के साथ आरएलडी की कियासी केमिस्ट्री किसी भी मुद्दे पर मेल नहीं खा रही. योगी सरकार के फैसले और बीजेपी नेताओं के सुर में सुर मिलाकर आरएलडी पश्चिमी यूपी में अपने सियासी समीकरण को बिगाड़ना नहीं चाहती है. आरएलडी ने भले ही बीजेपी के साथ हाथ मिला रखा हो और जयंत चौधरी मंत्री हों, लेकिन खुद को मुस्लिम विरोधी कठघरे में नहीं खड़ा करना चाहते हैं. पश्चिम यूपी में आरएलडी का सियासी आधार जाट वोटों के साथ-साथ मुस्लिमों के बीच रहा है. चौधरी चरण सिंह से लेकर चौधरी अजित सिंह तक जाट-मुस्लिम समीकरण के दम पर ही अपनी सियासत करते रहे हैं.
आरएलडी की कमान संभाल रहे जयंत चौधरी भी जाट-मुस्लिम समीकरण को किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं. आरएलडी इस बात को बाखूबी जानती है कि बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व पॉलिटिक्स के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने पर उनसे मुस्लिम वोटर छिटक सकता है. आरएलडी से मुस्लिमों के दूर होते ही जयंत चौधरी का पश्चिम यूपी में किंगमेकर बने रहना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए जयंत चौधरी और उनकी पार्टी के नेता बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
हिंदुत्व के एजेंडे से क्या जयंत चौधरी परेशान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की कमान संभालने के बाद से अपनी हिंदुत्ववादी छवि से कभी समझौता नहीं किया है. योगी हिंदुत्व की सिर्फ बात ही नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं. उनका हिंदुत्व कैसा है और उससे कौन सहमत है या असहमत है,यह अलग मुद्दा है, लेकिन सीएम योगी के नेतृत्व में भगवा सियासत की धारा को तेज धार मिली है. पिछले आठ सालों में सीएम योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ अयोध्या-मथुरा-काशी पर ही फोकस किया बल्कि भव्य राममंदिर के लिए खजाना खोला तो लव जिहाद से लेकर एंटी सीएए आंदोलनकारियों से निपटने के लिए कड़ाई से एक्शन लिया है.
योगी सरकार संभल के मुद्दे पर आक्रामक तेवर अपना रखा है और अब ईद की नमाज को लेकर मेरठ प्रशासन ने जिस तरह से मुसलमानों को चेतावनी दी है, उसे बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे से जोड़कर देख जा रहा है.पश्चिमी यूपी में बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडा सेट करने में जुटी है ताकि 2027 के चुनावी जंग को फतह कर सके. बाबा बागेश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों अपनी कथा और प्रवचन के जरिए हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को सेट करने में जुटे हैं.मुस्लिमों पर भी निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. धीरेंद्र शास्त्री मेरठ में हनुमंत कथा के जरिए पश्चिमी यूपी में हिंदुत्व की अलख जगाने में लगे हैं, जिसमें सीएम योगी के भी शिरकत करने की बात कही जा रही है.
पश्चिमी यूपी में मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में है, जो सियासी तौर पर काफी प्रभावी भी हैं. इसके चलते भी बीजेपी के लिए हिंदुत्व की पॉलिटिक्स को मजबूत करने का भी चैलेंज है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव हो या फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बेल्ट में हुआ है.सपा के सियासी समीकरण को बिगाड़ने की स्ट्रैटेजी के तौर पर भी बीजेपी पश्चिमी यूपी को हिंदुत्व की प्रयोगशाला के तौर पर मजबूत करना चाहती है, लेकिन उससे आरएलडी भी अपना सियासी नुकसान होता देख रही है.
RLD की सियासत में सिर्फ जाट वोटर ही नहीं
आरएलडी की सियासत में सिर्फ जाट वोटर ही नहीं हैं बल्कि मुस्लिम और दलित वोट भी हैं. जयंत चौधरी इस बात को जानते हैं कि बीजेपी के हिंदुत्व पॉलिटिक्स के साथ बैलेंस बनाकर चलते हैं तो उससे बीजेपी को लाभ तो मिल सकता है, लेकिन आरएलडी के लिए पश्चिमी यूपी की जमीन सियासी बंजर बन सकती है. बीजेपी के साथ गठबंधन करने के चलते आरएलडी के दो बड़े मुसलमान नेता जयंत चौधरी का साथ छोड़ चुके हैं. शाहिद सिद्दीकी के बाद पिछले दिनों अमीर आलम भी आरएलडी को अलविदा कह दिया है. ऐसे में जयंत चौधरी खुलकर यह बताने में जुटे हैं कि बीजेपी के साथ जरूर है, लेकिन बीजेपी के एजेंडे के साथ नहीं है.
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जयंत चौधरी भले ही बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार में शामिल हों, लेकिन वो अपनी सियासी छवि को भी बरकरार रखना चाहते हैं. यह संदेश नहीं देना चाहते हैं कि बीजेपी के पिछलग्गू बन गए हैं बल्कि अपनी राजनीतिक पहचान बनाए रखना चाहते हैं. बीजेपी के साथ रहने के चलते मुस्लिम वोटों के छिटकने का भी खतरा रालोद के साथ बना हुआ है, जिसके चलते ही जयंत खुलकर मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े होने की कवायद कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़े रखने की स्ट्रैटेजी भी मानी जा रही है.
जयंत चौधरी को पता है कि उत्तर प्रदेश उन्हें लंबी राजनीति करनी है तो पश्चिमी यूपी के 30 फीसदी मुस्लिम समुदाय से किनारा कर नहीं चल सकते हैं. पश्चिम यूपी में जाट 20 फीसदी के करीब हैं तो मुस्लिम 30 से 40 फीसदी के बीच हैं और दलित समुदाय भी 25 फीसदी के ऊपर है. पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित काफी अहम भूमिका अदा करते हैं. आरएलडी का कोर वोटबैंक जाट माना जाता है. अकेले जाट वोटों के सहारे जयंत चौधरी कुछ खास नहीं कर सकते हैं, लेकिन मुस्लिम या फिर कोई दूसरा बड़ा वोटबैंक जुड़ता है तभी जाट वोटर निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं. इसीलिए दलित और जाट वोटों के साथ मुस्लिम का समीकरण बनाकर पश्चिमी यूपी में अपनी राजनीति को बचाए रखने की कवायद में है, जिसके लिए बीजेपी को भी कठघरे में खड़े करने से बाज नहीं आ रहे.