इंडियन नेवी की शक्ति में वृद्धि, युद्धपोत तवस्या लॉन्च, महाभारत के भीम की गदा पर रखा गया नाम..

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में भारत सरकार द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित पी1135.6 अतिरिक्त फॉलो-ऑन फ्रिगेट परियोजना के दूसरे युद्धपोत तवस्या का शुभारंभ किया गया. ‘तवस्या’ को शनिवार को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में नीता सेठ ने पानी में उतारा. संजय सेठ ने लॉन्च के अवसर पर कहा कि यह भारत के नौसेना इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में भारत सरकार द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित पी1135.6 अतिरिक्त फॉलो-ऑन फ्रिगेट परियोजना के दूसरे युद्धपोत तवस्या का शुभारंभ किया गया. ‘तवस्या’ को शनिवार को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में नीता सेठ ने पानी में उतारा. संजय सेठ ने लॉन्च के अवसर पर कहा कि यह भारत के नौसेना इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

भारतीय नौसेना की बढ़ी ताकत
संजय सेठ ने जहाज पर विभिन्न प्रणालियों के सफल स्थानीयकरण का जिक्र करते हुए कहा कि तवस्या का लॉन्च भारतीय नौसेना के लिए न केवल एक कदम आगे है, बल्कि भारत की रणनीतिक रक्षा महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ी छलांग है.

भीम की गदा का मिला नाम
तवस्या का नाम महाभारत के महान योद्धा भीम की गदा के नाम पर रखा गया है. इस परियोजना के तहत दो युद्धपोतों के निर्माण का अनुबंध 25 जनवरी 2019 को रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच हुआ था. पहले युद्धपोत त्रिपुत को 23 जुलाई 2024 को पानी में उतारा गया था.

पनडुब्बी और हवाई हमलों से निपटने में सक्षम
त्रिपुत और तवस्या अत्याधुनिक तकनीकों से लैस युद्धपोत हैं, जो सतह, पनडुब्बी और हवाई हमलों से निपटने में सक्षम हैं. इनकी लंबाई लगभग 125 मीटर और ड्राफ्ट 4.5 मीटर है, जबकि इनका डिस्प्लेसमेंट लगभग 3600 टन है. ये युद्धपोत अधिकतम 28 नॉट यानी लगभग 52 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेगा.

हथियारों और सेंसरों से लैस
त्रिपुत और तवस्या को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी उपकरणों, हथियारों और सेंसरों से लैस किया जा रहा है. इन जहाजों में बड़ी मात्रा में भारतीय रक्षा उत्पादन यूनिट्स द्वारा निर्मित उपकरणों का उपयोग किया गया है. जिससे देश में रक्षा उत्पादन क्षमता बढ़ाने, रोजगार सृजन और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

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