
Kanpur News: रोजाना लखनऊ जाने वाले 20 हजार एमएसटीधारक ट्रेनें बंद होने से कार शेयरिंग कर रहे हैं। पांच-छह लोगों के ग्रुप में यह लोग आने-जाने के 200 रुपये एकत्र कर कार से लखनऊ आते-जाते हैं। इसके अलावा कुछ एमएसटीधारक बसों से सफर कर रहे हैं। यह दोनों ही विकल्प काफी महंगे पड़ रहे हैं।कानपुर 42 दिन के मेगा ब्लॉक में लखनऊ-कानपुर रूट पर ट्रेनों का संचालन बंद है। इसकी मार हर वर्ग पर पड़ रही है। सबसे ज्यादा परेशानी लखनऊ जाकर छोटा व्यापार लगाने वालों व नौकरीपेशा लोगों को हो रही है। बसों का किराया अधिक होने से रोज कमाने-खाने वाले इतना खर्च वहन नहीं कर सकते। इस वजह से लखनऊ जाकर व्यापार लगाने वाले करीब डेढ़ हजार लोग ट्रकों व लोडर से सफर कर रहे हैं।
कानपुर से बड़ी संख्या में हर दिन लोग लखनऊ जाते और रात तक वापसी करते हैं। इनमें 20 हजार के आसपास एमएसटी धारक हैं। कुछ इलाज कराने के लिए अक्सर लखनऊ पीजीआई जाते हैं। इसके अलावा डेढ़ हजार के आसपास ऐसे लोग भी हैं जो लखनऊ के चारबाग, आलमबाग या अन्य इलाकों में फेरी लगाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।रूट से जुड़ी करीब 74 ट्रेनें निरस्त है या दूसरे रूट से जा रही हैं..ट्रेनों का संचालन बंद होने से सबसे ज्यादा संकट इसी वर्ग पर पड़ा है। इनमें तो कई घर पर ही हैं तो कुछ कानपुर में घर के आसपास ही काम कर खर्चा चला रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोडर या ट्रक से लखनऊ जा-आ रहे हैं। मेगा ब्लॉक की वजह से करीब 150 लंबी व कम दूरी की ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ा है। इनमें लखनऊ-कानपुर रूट से जुड़ी करीब 74 ट्रेनें निरस्त हैं या फिर दूसरे रूट से होकर जा रही हैं।
कार शेयरिंग कर रहे
रोजाना लखनऊ जाने वाले 20 हजार एमएसटीधारक ट्रेनें बंद होने से कार शेयरिंग कर रहे हैं। पांच-छह लोगों के ग्रुप में यह लोग आने-जाने के 200 रुपये एकत्र कर कार से लखनऊ आते-जाते हैं। इसके अलावा कुछ एमएसटीधारक बसों से सफर कर रहे हैं। यह दोनों ही विकल्प काफी महंगे पड़ रहे हैं। ट्रेन से लखनऊ जाने में सामान्य श्रेणी का किराया 45 रुपये है, जबकि बस के लिए 141 रुपये चुकाने होते हैं। मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) बनवाने में सामान्य श्रेणी के तीन माह के 940 रुपये और सुपरफास्ट के तीन माह के 1650 रुपये चुकाने होते हैं जो काफी सस्ता पड़ता है।
जीटी रोड पर खड़ी होतीं बसें
झकरकटी बस अड्डे पर लोगों को लखनऊ की बसें पकड़ने में दिक्कत हो रही है। पुल के आसपास तो बसें खड़ी रहती हैं लेकिन बस अड्डे के अंदर लंबी दूरी की बसें ही मिलती हैं। लखनऊ जाने वाले लोग बस अड्डे के अंदर जाते हैं तो उन्हें फिर लौट कर जीटी रोड आना पड़ता है जहां से वह बस पकड़ते हैं। साथ ही रोडवेज ने अभी बसों की संख्या नहीं बढ़ाई है।
दूसरे दिन डाले गए सिर्फ 40 एचबीम स्लीपर
गंगा रेलवे पुल पर शुक्रवार को दूसरे दिन कार्य की गति अपेक्षाकृत धीमी रही। सुबह 8 बजे से रेलवे अधिकारियों की देखरेख में कानपुर छोर से कार्य शुरू किया गया। हालांकि निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले दूसरे दिन केवल 40 एचबीम चैनल स्लीपर ही डाले जा सके। शाम 5 बजे ब्लॉक समाप्त होने के बाद डेड स्टॉप से अप लाइन की ट्रेनें गुजरीं। अब तक 90 एचबीम स्लीपर बिछाए जा चुके हैं। रेलवे प्रशासन को अभी 1500 से 1600 एचबीम स्लीपर लगाने का लक्ष्य पूरा करना है। रेलवे कर्मचारियों के अनुसार, हर दिन 50 एचबीम चैनल स्लीपर डालने की योजना बनाई गई है, ताकि निर्धारित अवधि में कार्य हो सके।
लोहे की चादर हटाने में हो रही परेशानी
देरी का कारण गिट्टियों को हटाने व लोहे की चादर को काटने में लगने वाला अतिरिक्त समय बताया जा रहा है। पुराने टर्फ व स्लीपर के पास बिखरी गिट्टियों को हटाने में गैंगमैन व ट्रैकमैन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। लोहे की चादरों को हटाने में भी अतिरिक्त समय लग रहा है, जिससे कार्य की गति धीमी हो रही है।