प्रयागराज में चल रहे अवैध बस अड्डे : रोजवेज स्टेशनों से दबंग उठा ले जाते हैं सवारियां, पुलिस का रेट है फिक्स..

शासन की सख्ती के बावजूद संगमनगरी में अवैध बस अड्डों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। 20 से अधिक अवैध बस अड्डों से 200 से अधिक डग्गामार वाहन रोडवेज को चपत लगा रहे हैं। हालत यह है कि दबंग संचालक रोडवेज बस स्टेशनों से सवारियां उठा ले जा रहे हैं। शासन की सख्ती के बावजूद संगमनगरी में अवैध बस अड्डों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। 20 से अधिक अवैध बस अड्डों से 200 से अधिक डग्गामार वाहन रोडवेज को चपत लगा रहे हैं। हालत यह है कि दबंग संचालक रोडवेज बस स्टेशनों से सवारियां उठा ले जा रहे हैं। बावजूद इसके कार्रवाई की बजाय अफसर खामोश हैं। शहर में रोडवेज के समानांतर अवैध बस स्टेशन सड़कों की पटरियों को कब्जा कर चलाए जा रहे हैं। निजी बस संचालकों को किसी का डर नहीं है। नियम है कि बस अड्डे के एक किमी के दायरे में कोई निजी वाहन सवारी नहीं भरेंगे।

शासन की सख्ती के बावजूद संगमनगरी में अवैध बस अड्डों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। 20 से अधिक अवैध बस अड्डों से 200 से अधिक डग्गामार वाहन रोडवेज को चपत लगा रहे हैं। हालत यह है कि दबंग संचालक रोडवेज बस स्टेशनों से सवारियां उठा ले जा रहे हैं। शासन की सख्ती के बावजूद संगमनगरी में अवैध बस अड्डों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। 20 से अधिक अवैध बस अड्डों से 200 से अधिक डग्गामार वाहन रोडवेज को चपत लगा रहे हैं। हालत यह है कि दबंग संचालक रोडवेज बस स्टेशनों से सवारियां उठा ले जा रहे हैं। बावजूद इसके कार्रवाई की बजाय अफसर खामोश हैं। शहर में रोडवेज के समानांतर अवैध बस स्टेशन सड़कों की पटरियों को कब्जा कर चलाए जा रहे हैं। निजी बस संचालकों को किसी का डर नहीं है। नियम है कि बस अड्डे के एक किमी के दायरे में कोई निजी वाहन सवारी नहीं भरेंगे।

इसके बावजूद परिवहन निगम के समानांतर डग्गामार वाहन बस स्टेशन से थोड़ी दूर पर ही चल रहे हैं। इन पर पाबंदी लगाने में जिम्मेदार अफसर नाकाम हैं। शहर में 20 से अधिक स्थानों पर प्राइवेट बस अड्डे सड़क पर ही संचालित हो रहे हैं। रोडवेज के अधिकारियों ने ऐसे 100 वाहनों का नंबर व फोटो सहित सूची तैयार की थी। अधिकारी कार्रवाई की मांग के लिए आरटीओ, पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को पत्र भी लिखे, लेकिन फिर चुप्पी साधकर बैठ गए। रोडवेज कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय प्रभारी राजकुमार शुक्ल बताते हैं, इसकी वजह से परिवहन विभाग को रोजाना लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।

आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों का भी है संरक्षण

उनका आरोप है कि इन दबंग बस अड्डा संचालकों को संभागीय परिवहन कार्यालय के अफसरों के साथ ही पुलिस का भी संरक्षण मिल रहा है। ऐसी सवारियां ढोने वाली 233 बसों एवं कारों की सूची तैयार की गई है। निजी वाहन संचालक बस स्टैंड के बाहर से यात्रियों को जबरन अवैध बस स्टैंड पर लेकर चले जाते है। कई बार झड़प एवं धक्का-मुक्की हो चुकी है। इसकी वजह से कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। उधर डग्गामार बसों के संचालकों के अनुसार, बसों के संचालन में वसूली का रेट भी तय है। महीने का पांच हजार रुपये प्रति बस अलग-अलग विभाग वसूलते हैं। वसूली की रकम बढ़ने से अब नुकसान होने लगा है। पूंजी के हिसाब से आमदनी नहीं हो पा रही है, इसलिए कई बस संचालकों ने अपनी बसें बेच दीं।
केस-एक : सिविल लाइंस बस अड्डा

सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के बगल में प्रतिदिन 50 से अधिक निजी बसों का संचालन होता है। बृहस्पतिवार को यहां प्राइवेट बसों को खड़ा कर खुलेआम सवारियां भरी जा रही थीं। यहां से जौनपुर, आजमगढ़, ऐरावत और बैरहना आदि स्थानों के लिए डग्गामार बसों का संचालन होता है। नाम न छापने की शर्त पर एक बस संचालक ने बताया कि प्रतिदिन स्टैंड शुल्क भी देना होता है। इसके अलावा स्थानीय पुलिस को भी हर माह हजारों में तय शुल्क देना होता है। देर रात दिल्ली के लिए लग्जरी बसें सवारियां भरती हैं।
केस-दो : रामबाग रेलवे स्टेशन

यहां से भदोही, वाराणसी और हंडिया के लिए 70 से 75 बसों का संचालन होता है। यहां मौजूद राजकुमार नामक एक प्राइवेट बस के परिचालक ने बताया कि गुलाब नाम का कोई ठेकेदार स्टैंड का 150 रुपये प्रतिदिन वसूलता है और वही सड़क पर बसें लगवाता है। विभागों के वसूली का रेट भी तय है। उन्हें हर माह पेमेंट करना होता है। सिर्फ कहने के लिए यह धंधा है, नुकसान उठाना पड़ रहा है।

केस-तीन : नया बैरहना चौक

संगम क्षेत्र के नया बैरहना चौक से करीब 200 डग्गामार बसों का संचालन होता है। यहां से रीवा, मांडा, भारतगंज, मिर्जापुर के लिए बसें सवारियां भरती हैं। बस चालक संदीप ने बताया कि यातायात पुलिस को प्रतिदिन पैसा देना पड़ता है। इसके बावजूद थाने में पुलिस को, स्टैंड एवं अन्य के लिए पैसे देना होता है। कुछ ऐसा ही हाल खुसरो बाग प्राइवेट बस स्टैंड का भी है। यहां से 20 से 25 निजी बसें चलती हैं।
केस-चार

चंद्रलोक सिनेमाघर के बगल में रात में छत्तीसगढ़, विलासपुर, लीला रोड पर कानपुर, फतेहपुर, चित्रकूट के लिए प्राइवेट बसें सवारियां भरती हैं। यहां दुकानदार अरविंद ने बताया कि बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर बस चालक ले जाते हैं। देर रात में भी लंबी दूरी की बसें जाती हैं। परिवहन विभाग और पुलिस के संरक्षण में ही बस संचालक शहर में सड़क पर ही प्राइवेट बसें खड़ी कर सवारियां भरते हैं।

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने तैयार की सूची

सिविल लाइंस डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने सिविल लाइंस बस स्टैंड के पास अवैध रूप से बसें चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कई बार आरटीओ और पुलिस के अफसरों को पत्र लिखा है। तकरीबन 100 बसों और 30 कारों की सूची तैयार कर आरटीओ, डीएम व पुलिस के अफसरों को भेजा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई अभियान नहीं चलाया गया। बस परिचालक मनोज कनौजिया, बबलू दूबे, शिवराम, लोकनाथ यादव का कहना है कि अवैध बसों के संचालन की वजह से सवारियां नहीं मिलती हैं। परिवहन निगम को प्रतिदिन पांच लाख की राजस्व हानि हो रही है। तीन माह पहले इस मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया था, फिर भी कुछ नहीं हुआ।

डग्गामार वाहनों के खिलाफ एआरएम का पुलिस के साथ समय-समय पर अभियान चलता रहता है। मौके से जो पकड़े जाते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। अप्रैल 2024 से 28 फरवरी 2025 के बीच बिना परमिट वाले 45 बसों सहित 228 वाहनों, परमिट शर्तो के उल्लंघन में 314 बसों सहित 538 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 359 बसों का चालान किया गया है। 34.17 लाख की वसूली की गई है। – संजय गुप्ता, आरटीओ
रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ परिवहन निगम ने शुरू की जांच

यूपी रोडवेज कर्मचारी संघ की शिकायतों पर परिवहन निगम ने क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। जांच कर रहे प्रधान प्रबंधक (एमएमटी) गौरव पांडेय के समक्ष बुधवार को लखनऊ में दोनों पक्षों ने बयान भी दर्ज कराए। शिकायत करने वाले कर्मचारी नेताओं को 28 मार्च को फिर बुलाया गया है।

कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय अध्यक्ष चंद्रबली उपाध्याय व क्षेत्रीय मंत्री उमाशंकर मौर्य ने 24 बिंदुओं पर क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज त्रिवेदी के खिलाफ अलग-अलग तिथियों में निगम अध्यक्ष से शिकायत की थी। इसमें महाकुंभ से जुड़ी राशि का गबन करने से लेकर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इनकी जांच कर रहे प्रधान प्रबंधक ने कर्मचारी नेताओं से आरोपों के संबंध में साक्ष्य लिए हैं। वहीं, प्रबंधक से भी सफाई ली है।

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