नवरात्रि के अवसर पर निष्पक्ष प्रतिदिन के समूह सम्पादक शरद कुमार सिन्हा की ओर से सभी देशवासियों को ढेर सारी शुभकामनाएं

समूह- सम्पादक शरद कुमार सिन्हा

नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसे विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष शरद ऋतु में आश्विन माह के शुद्ध प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नवीनीकरण का संदेश भी देता है।

सम्पादक की ओर से नवरात्रि के इस पावन अवसर पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ। यह पर्व न केवल भक्ति और पूजा का अवसर है, बल्कि आत्मसंयम, तपस्या और अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का भी समय है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। प्रत्येक देवी का रूप और उनकी पूजा विधि अपने आप में अद्वितीय है और हर एक रूप का विशिष्ट संदेश है।

नवरात्रि के इस दौरान जो उपवासी रहते हैं, वे न केवल आहार से संयमित होते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी अपनी शक्ति को पुनः जागृत करते हैं। यह पर्व हमें अपने भीतर के दोषों और नकारात्मकता से मुक्ति पाने का भी संदेश देता है, ताकि हम एक सकारात्मक दिशा में अपने जीवन को आगे बढ़ा सकें।

सम्पादक के तौर पर, मैं यह कह सकता हूँ कि नवरात्रि का यह पर्व समाज में भाईचारे और प्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस दौरान समाज के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं, सामाजिक आयोजन करते हैं और एकजुट होकर पर्व का आनंद लेते हैं। इससे समाज में सद्भावना और शांति का माहौल बनता है।

इस अवसर पर हम सभी को अपने जीवन में देवी दुर्गा के नौ रूपों से प्रेरणा लेनी चाहिए। शैलपुत्री का रूप हमें दृढ़ता और साहस सिखाता है। ब्रह्मचारिणी का रूप आत्मसंयम और तपस्या की शक्ति का प्रतीक है। चंद्रघंटा का रूप हमें मानसिक शांति और संतुलन की ओर प्रवृत्त करता है, जबकि कुष्मांडा का रूप सकारात्मकता और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो नवरात्रि का पर्व आत्मशुद्धि का पर्व भी है। यह समय है जब हम अपनी गलतियों से सीखकर अपने जीवन को सुधारने का संकल्प लें। यह समय है जब हम अपने भीतर के अंधकार को दूर करके आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हों।

यह पर्व केवल पूजा-पाठ और व्रत रखने का नहीं है, बल्कि यह हमें अपने आचरण, जीवनशैली और सोचने के तरीके को बदलने का भी अवसर देता है। हमें इस दौरान यह याद रखना चाहिए कि नवरात्रि का पर्व हमें केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में सुधार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

अंततः,मैं सभी पाठकों को यह शुभकामना देना चाहता हूँ कि नवरात्रि का यह पावन पर्व आपके जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और शांति लेकर आए। यह पर्व आपके जीवन में नये उत्साह, नए आभा और नई शक्ति का संचार करे। माँ दुर्गा की कृपा आप पर बनी रहे और उनके आशीर्वाद से आपका जीवन सुखमय हो।

जय माता दी!

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