
Nagpur Violence: यह ममला इतना आगे बढ़ गया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. अब तक यह घटना नागपुर में तनाव का कारण बनी हुई है. महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 17 मार्च को औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. यह मामला तब गरमाया जब विश्व हिंदू परिषद VHP और बजरंग दल जैसे संगठनों ने सोमवार सुबह विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद एक अफवाह फैली कि प्रदर्शन के दौरान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई जिसके चलते शाम होते-होते शहर के महाल और हंसपुरी इलाकों में तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पथराव-आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी जिसमें पुलिस पर भी हमला हुआ.
हिंसा की शुरुआत: सोमवार शाम को नागपुर के महाल इलाके में एक अफवाह के बाद दो गुटों के बीच झड़प शुरू हुई. यह अफवाह थी कि औरंगजेब का पुतला जलाने के दौरान कुछ लोगों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हरकत की. जिसके बाद मामला हिंसक हो गया और पूरे इलाके में तनाव फैल गया. पुलिस पर हमला: उपद्रवियों ने पुलिस पर संगठित तरीके से पथराव किया जिसमें 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए. इनमें तीन डीसीपी रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें गंभीर चोटें आईं. पुलिस ने इसे सुनियोजित हमला करार दिया है. संपत्ति को नुकसान: हिंसा के दौरान 25 से अधिक मोटरसाइकिलें, तीन कारें, दो जेसीबी मशीनें और एक क्रेन को आग के हवाले कर दिया गया. इसके अलावा कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई जिससे भारी नुकसान हुआ.
कर्फ्यू लागू: स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नागपुर पुलिस ने शहर के 11 थाना क्षेत्रों में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया. लोगों से घरों में रहने और आवश्यक होने पर ही बाहर निकलने की अपील की गई है. उपद्रवियों पर कार्रवाई: पुलिस ने अब तक 50 से 65 लोगों को हिरासत में लिया है और पांच FIR दर्ज की हैं. इनमें से कई की पहचान CCTV फुटेज और स्थानीय लोगों की मदद से की गई और आगे की कार्रवाई जारी है. सुनियोजित हमले का दावा: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में बयान दिया कि यह हिंसा अचानक नहीं हुई बल्कि यह एक सुनियोजित हमला था. उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का वादा किया और कहा कि इसमें शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.