
TN Seshan: टीएन शेषन ने नेताओं को भी नहीं बख्शा. हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल गुलशेर अहमद को अपने बेटे के लिए प्रचार करने पर इस्तीफा देना पड़ा था. शेषन की नजर में कोई बड़ा-छोटा नहीं था. उनके इन कदमों से चुनाव आयोग की साख बढ़ी. भारत के चुनावी इतिहास में एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही नेता कांप उठते थे. वो कोई नेता नहीं थे बल्कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन थे. हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग उठा दी है. मंगलवार को राज्यसभा में यह मांग उठाई. इसके बाद टीएन शेषन फिर चर्चा में आ गए. 1990 से 1996 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे शेषन ने अपने कड़े फैसलों से चुनाव प्रणाली को जोरदार तरीके से पारदर्शी बनाया. साथ ही उन्होंने नेताओं को भी संविधान और नियमों की ताकत का एहसास कराया. उनके बारे में कहा जाता था कि वे नेताओं का नाश्ता करते थे.
भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त..
असल में टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेलै नारायण अय्यर शेषन था. उनका जन्म 15 दिसंबर 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था. 1955 बैच के IAS अधिकारी रहे शेषन ने 12 दिसंबर 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभाला. उनके 6 साल के कार्यकाल में चुनाव आयोग की तस्वीर बदल गई. टीएन शेषन ने कई चुनावी धांधलियों पर लगाम लगाई. उनकी सख्ती ऐसी थी कि लोग कहते थे कि नेता सिर्फ दो चीजों से डरते हैं एक भगवान, दूसरा शेषन. शायद उनकी इसी बेबाकी ने उन्हें नेताओं का नाश्ता करने वाला आयुक्त का तमगा दिलाया.
पहचान पत्र को अनिवार्य किया..
टीएन शेषन के कार्यकाल में कई बड़े सुधार हुए जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया. उन्होंने मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य किया जिससे फर्जी वोटिंग पर रोक लगी. चुनाव में पैसों और शराब के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए. इतना ही नहीं उन्होंने नेताओं को भी नहीं बख्शा. हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल गुलशेर अहमद को अपने बेटे के लिए प्रचार करने पर इस्तीफा देना पड़ा था. शेषन की नजर में कोई बड़ा-छोटा नहीं था. उनके इन कदमों से चुनाव आयोग की साख बढ़ी और आम जनता में भरोसा जगा.
1996 में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित
टीएन शेषन की सख्ती का असर सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं था बल्कि पूरे सिस्टम पर पड़ा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने सभी अधिकारियों को साफ कह दिया था कि कोई गड़बड़ी हुई तो जिम्मेदारी उनकी होगी. उनकी निगरानी में चुनाव इतने निष्पक्ष हुए कि विपक्षी दल भी उनकी तारीफ करने को मजबूर हो गए. उनके इस साहस के लिए उन्हें 1996 में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. शेषन का निधन 10 नवंबर 2019 को हो गया.
TMC सांसद साकेत गोखले की मांग
अब वे चर्चा में हैं क्योंकि ममता बनर्जी की पार्टी TMC से सांसद साकेत गोखले की मांग ने कहा कि शेषन ने भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा दी इसलिए उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए. इस मांग को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज है. कई लोग इसे सही ठहरा रहे हैं तो कुछ इसे राजनीतिक मांग बता रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी 2019 में उनके निधन पर कहा था कि शेषन एक शानदार अधिकारी थे जिनके सुधारों ने लोकतंत्र को मजबूत किया.