8 लाख सालों में सबसे जहरीली हुई हवा, 2023 में टूटा रिकॉर्ड, सांसों पर बढ़ा संकट..

इस बार ज्यादा सर्दी नहीं पड़ी, फरवरी के महीने के आखिरी दिनों से ही हमारे घर में तो पंखा चलना शुरू हो गया है.… भारत के कई राज्यों में लोग इस समय यह बाते कर रहे हैं. अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है, बढ़ती गर्मी के चलते कई लोगों ने अपने घर के पंखे, कूलर और एसी साफ कर लिए हैं. साथ ही भीषण गर्मी पड़ने के संकेत अभी से सामने आ रहे हैं. गर्मी ज्यादा बढ़ने की एक वजह बढ़ता प्रदूषण है, ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती जा रही है. हर तरफ एक ही चीज दिखाई दे रही है वो है प्रदूषण, लेकिन जिस प्रदूषण कि हम रोजाना बात करते हैं क्या आप जानते हैं कि वो किस हद तक बढ़ गया है. क्या आप जानते हैं कि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड(CO2) कितना बढ़ गया है और इससे क्या नुकसान हो रहे हैं?

इस बार ज्यादा सर्दी नहीं पड़ी, फरवरी के महीने के आखिरी दिनों से ही हमारे घर में तो पंखा चलना शुरू हो गया है.… भारत के कई राज्यों में लोग इस समय यह बाते कर रहे हैं. अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है, बढ़ती गर्मी के चलते कई लोगों ने अपने घर के पंखे, कूलर और एसी साफ कर लिए हैं. साथ ही भीषण गर्मी पड़ने के संकेत अभी से सामने आ रहे हैं. गर्मी ज्यादा बढ़ने की एक वजह बढ़ता प्रदूषण है, ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती जा रही है. हर तरफ एक ही चीज दिखाई दे रही है वो है प्रदूषण, लेकिन जिस प्रदूषण कि हम रोजाना बात करते हैं क्या आप जानते हैं कि वो किस हद तक बढ़ गया है. क्या आप जानते हैं कि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड(CO2) कितना बढ़ गया है और इससे क्या नुकसान हो रहे हैं?

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जो हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड के लेवल को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखती है, जो बताती है कि कैसे हमारी हवा जहरीली होती जा रही है और हवा में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ता जा रहा है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की बुधवार को क्लाइमेट को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें बताया गया कि साल 2023 में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर पिछले 8 लाख सालों में सबसे ज्यादा था. हवा में साल 2023 में 3,276 गीगाटन या 3.276 ट्रिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद थी.

ग्लोबल वार्मिंग का क्या है हाल?
कार्बन डाइऑक्साइड एक प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली गैस है, हर इंसान अपने मुंह से कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, लेकिन यह गैस ईंधन जलाने जैसी मानवीय गतिविधियों के चलते भी पैदा होती है और कई कारणों की वजह से इसका स्तर बढ़ता जा रहा है. वायुमंडल में इसकी बढ़ते स्तर को प्रदूषण का एक रूप माना जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1850-1900 बेसलाइन की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग फिलहाल 1.34 और 1.41 डिग्री सेल्सियस के बीच होने का अनुमान है.

2023 में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 420 पार्ट 0.1 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) था, जो 2022 की तुलना में 2.3 पीपीएम ज्यादा था. डब्ल्यूएमओ ने कहा कि 420 पीपीएम वायुमंडल में 3,276 गीगाटन या 3.276 ट्रिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है.

गर्मी का स्तर बढ़ा
अभी मार्च का महीना चल रहा है. राजधानी दिल्ली में अभी से कई रातें सबसे गर्म दर्ज की गई है, गर्मी का स्तर बढ़ने लगा है और इस बात की साफ आशंका जता दी गई है कि आने वाले समय में दिल्ली में तापमान में बढ़त दर्ज की जाएगी. जिस गर्मी के बढ़ने का हम जिक्र कर रहे हैं उसको लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 साल (2015-2024) रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल थे, पिछले 8 सालों में से समुद्र की गर्मी बढ़ी है.

ग्रीनहाउस गैसों की लगभग 90 प्रतिशत गर्मी समुद्र में समाई है. जिससे यह गर्म हो जाता है और समुद्री जीवन, मौसम के पैटर्न और समुद्र के स्तर को प्रभावित करता है. 2024 में, वैश्विक औसत समुद्र स्तर सबसे ज्यादा दर्ज किया गया था.

क्या नुकसान होता है?
हवा में बढ़ते कार्बन डाईऑक्साइड का नुकसान साफ दिखाई देता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 में ट्रॉपिकल चक्रवात, बाढ़, सूखा और बाकी आपदाएं सामने आई हैं. इन सब प्राकृतिक आपदाओं के चलते पिछले 16 सालों में सबसे ज्यादा लोग अपना घर, अपना देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. इन घटनाओं से खाद्य संकट भी गहरा गया और बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ.

रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया?
संयुक्त राष्ट्र की मौसम और जलवायु एजेंसी ने कहा कि 2015-2024 तक समुद्र के स्तर में बढ़त की दर 1993-2002 की तुलना में दोगुनी थी, जो 2.1 मिमी प्रति वर्ष से बढ़कर 4.7 मिमी प्रति वर्ष हो गई. इसमें कहा गया है कि 2022-2024 के पीरियड में सबसे नैगिटीव तीन साल का ग्लेशियर पिघले. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, हमारा ग्रह संकट के संकेत जारी कर रहा है, लेकिन यह रिपोर्ट दिखाती है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना अभी भी संभव है. नेताओं को इस साल आने वाली नई राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं के साथ-साथ अपने लोगों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए सस्ते, स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा के लाभों को हासिल करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

2024 रहा सबसे गर्म साल
अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है, ज्यादातर लोगों ने अपने कूलर, एसी साफ करना शुरू कर दिया है और कई घरों में फरवरी के आखिरी दिनों से पंखें चलने शुरू हो गए हैं, लेकिन 2025 ऐसा पहला साल नहीं है जिसमें गर्मी महसूस की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. इस साल ग्लोबल तापमान 1.5 डिग्री दर्ज किया गया था. साथ ही साल 2024 में 22 जुलाई का दिन सबसे ज्यादा गर्म दिन था.

डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, हालांकि एक साल में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान का जाना यह संकेत नहीं देता है कि पेरिस समझौते में तापमान को लेकर जो लक्ष्य तय किया गया था उसको हासिल करने में हम पीछे रह गए हैं बल्कि यह एक चेतावनी है कि हमें अब सख्स कदम उठाने चाहिए. यह एक चेतावनी है कि हम अपने जीवन, अर्थव्यवस्था और प्लानेट के लिए जोखिम बढ़ा रहे हैं.

 

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