
वकीलों ने प्रदेश सरकार से अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए तत्काल एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की। लखनऊ और सेंट्रल बार एसोसिएशन ने निर्णय लिया कि 18 मार्च को अधिवक्ता न्यायिक व विधिक कार्य से विरत रहेंगे।राजधानी लखनऊ में अधिवक्ताओं ने मंगलवार को कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। यह निर्णय विभूतिखंड थाने में 14 मार्च को अधिवक्ताओं से मारपीट और उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे के विरोध में लिया गया है। सोमवार को सेंट्रल बार व लखनऊ बार एसोसिएशन की कचहरी में हुई संयुक्त बैठक में इस बात का फैसला किया गया।
सेंट्रल बार के अध्यक्ष अरविंद कुमार कुशवाहा, महामंत्री अमरेश पाल, लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश प्रसाद तिवारी और महामंत्री बृजभान सिंह ”भानु” के नेतृत्व सोमवार को बैठक हुई। इसमें कहा, दोनों बार एसोसिएशन की तरफ से कोई भी हड़ताल का प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, लेकिन पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अधिवक्ताओं पर हड़ताल पर रहने का आरोप लगाकर यातायात डायवर्जन का आदेश पारित कर दिया।
इससे आम जनमानस व स्कूल के बच्चों को आने-जाने में परेशानी उठानी पड़ी। प्रशासन से मांग की गई कि थाना विभूतिखंड के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज केस खत्म किया जाए।
पूरे इलाके का छावनी में किया गया तब्दीलअधिवक्ताओं के प्रदर्शन को लेकर सोमवार को कलेक्ट्रेट से केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक पुलिस तैनात रही। जगह-जगह पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा रखी थी। डीसीपी मध्य रवीना त्यागी, डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव फोर्स के साथ अलग-अलग पॉइंट पर मौजूद थे। हालांकि, सोमवार को वकीलों ने कोई प्रदर्शन नहीं किया। मंगलवार के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं।