
बीजेपी सांसद और रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल ने अपने सियासी पारी के किस्से सुनाए हैं. उन्होंने बताया कि राजनीति में उनकी एंट्री कैसे हुई? इसके साथ ही उन्होंने और भी कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. बातचीत के दौरान अरुण गोविल ने कहा कि राजनीति में आने की मेरी इच्छी नहीं थी. प्राण प्रतिष्ठा के दिन मन में चुनाव लड़ने का विचार आया. रामायण के ‘राम’ ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई. मैं भी अयोध्या गया था. मेरे मन में अचानक ये ख्याल आया है कि मैंने तो बाकी सबकुछ तो किया है लेकिन जनसेवा नहीं की है. एक मिनट के लिए मेरे मन में ये ख्याल आया और फिर थोड़ी देर में ये ख्याल मन से चला भी गया. प्राण प्रतिष्ठा के कुछ दिन बाद टिकट के लिए फोन आया.
अरुण गोविल ने कहा कि अयोध्या से चुनाव लड़ने की इच्छा कभी नहीं थी. उन्होंने कहा कि रामायण सीरियल के बाद से कई बार चुनाव लड़ने के ऑफर मिलते रहे लेकिन कभी ऐसी इच्छा नहीं थी. जब चुनाव लड़ने की ही इच्छा नहीं थी, तो फिर अयोध्या से या फिर कहीं और से क्या. ये विचार में अयोध्या जाकर ही आया. मेरठ से चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी ने किया. पार्टी के जहां से ठीक लगा वहां से चुनाव लड़ाया.