26 दोस्तों ने निभाया 16 साल पुराना वादा,शहीद की बेटी की शादी में शामिल होने पहुंचे जवान..

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म ‘सैनिक’ में अक्षय कुमार ने एक सेना के जवान का रोल निभाया है, जिनकी मौत की खबर मिलने के बाद उनके साथी जवान उनकी बहन की शादी में भाई की रस्में निभाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ऐसा एक मामला हकीकत में सामने आया है, जहां सेना के 26 जवान 16 साल बाद अपने शहीद दोस्त की बेटी की शादी में अपना वादा पूरा करने पहुंचे.ये मामला राजस्थान के कोटपूतली बहरोड़ से सामने आया है, जहां 16 साल पहले सूबेदार कंवरपाल सिंह एक आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए थे, लेकिन इससे पहले उनके साथियों ने उनसे वादा किया था, जिसे पूरा करने के लिए 26 जवान उनकी बेटी की शादी में पहुंचे और पिता के फर्ज निभाए. वह बेटी की डोली को स्टेज तक लेकर गए. यही नहीं उन्होंने शादी की कई रस्में निभाईं.

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म ‘सैनिक’ में अक्षय कुमार ने एक सेना के जवान का रोल निभाया है, जिनकी मौत की खबर मिलने के बाद उनके साथी जवान उनकी बहन की शादी में भाई की रस्में निभाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ऐसा एक मामला हकीकत में सामने आया है, जहां सेना के 26 जवान 16 साल बाद अपने शहीद दोस्त की बेटी की शादी में अपना वादा पूरा करने पहुंचे.ये मामला राजस्थान के कोटपूतली बहरोड़ से सामने आया है, जहां 16 साल पहले सूबेदार कंवरपाल सिंह एक आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए थे, लेकिन इससे पहले उनके साथियों ने उनसे वादा किया था, जिसे पूरा करने के लिए 26 जवान उनकी बेटी की शादी में पहुंचे और पिता के फर्ज निभाए. वह बेटी की डोली को स्टेज तक लेकर गए. यही नहीं उन्होंने शादी की कई रस्में निभाईं.

16 साल पहले किया था वादा
इस नजारे को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं. पिता की जगह 26 जवान दुल्हन के साथ खड़े थे और सारी रस्में अदा कर रहे थे. कुतिना गांव के कंवरपाल सिंह ने 16 साल पहले अपने साथियों से कहा कि जब भी उनकी बेटी की शादी हो. उन सबको आना जरूर आना होगा, जिसके बाद जवानों ने भी अपने सूबेदार से उनकी बेटी की शादी में आने का वादा किया था और इसे शादी में पहुंचकर पूरा भी किया.

2009 में हो गए थे शहीद
सभी जवान 6 मार्च को बेटी की शादी में परिवार का हिस्सा बनकर शामिल हुए. वह अपनी बेटी की तरह दुल्हन की डोली को स्टेज तक लेकर गए. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग रस्में भी निभाईं और बेटी की विदाई की. कंवरपाल सिंह साल 2009 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में तैनात थे, जहां उन्हें आतंकी घुसपैठ की जानकारी मिली थी. घने कोहरे में ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. हमले में एक दूसरे सूबेदार राकेश सिंह घायल हो गए, जिन्हें बचाने के लिए कंवरपाल सिंह ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कई आतंकियों को मार गिराया, लेकिन इसमें शहीद हो गए.

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