
Pradosh Vrat 2025 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष के व्रत का बहुत महत्व है. प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित किया गया है. इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली आती है. हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत बहुत विशेष माना गया है. प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. ये व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है. जो भी इस व्रत को करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रदोष का व्रत सप्ताह में पड़ने वाले दिनों के नाम पर होता है. मतलब प्रदोष व्रत के दिन जो वार पड़ता है उसी के नाम पर प्रदोष व्रत होता है. मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत कल रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण के नियम तक सबकुछ.
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत कल यानी 11 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगी. वहीं इस तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में प्रदोष का व्रत कल रखा जाएगा. कल मंगलवार है, इसलिए ये भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा.प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. ऐसे में कल भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त रात 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगा.
पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा स्थल की सफाई करें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. फिर एक बर्तन में शिवलिंग रखें. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें. उस पर बेल पत्र, गुड़हल, आक और मदार के फूल चढ़ाएं. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ जरूर करें. प्रदोष व्रत कथा पढ़ें. शाम के प्रथम प्रहर में स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा करें. आरती के साथ पूजा का समापन करें. प्रदोष व्रत पर पूरा दिन उपवास करें. व्रत में सात्विक भोजन करें.