जज कैश कांड से जुड़ा NJAC Act: राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने बुलाई बैठक..

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर आग लगने के दौरान जो नकदी मिली थी. उसको लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आज सुबह साढ़े 11 बजे बैठक बुलाई है. इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद रहेंगे. दरअसल, शुक्रवार को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जज के घर नोट जलने का मामला राज्यसभा में उठाया था, इस पर सभापति ने कहा था कि अगर NJAC Act जिसे लोकसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. अगर वो कानून आज होता तो न्यायिक जवाबदेही के मुद्दे पर आज हमारे पास समाधान होता. उसी मामले पर आज बैठक है.

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर आग लगने के दौरान जो नकदी मिली थी. उसको लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आज सुबह साढ़े 11 बजे बैठक बुलाई है. इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद रहेंगे. दरअसल, शुक्रवार को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जज के घर नोट जलने का मामला राज्यसभा में उठाया था, इस पर सभापति ने कहा था कि अगर NJAC Act जिसे लोकसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. अगर वो कानून आज होता तो न्यायिक जवाबदेही के मुद्दे पर आज हमारे पास समाधान होता. उसी मामले पर आज बैठक है.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदन के नेता यहां मौजूद नहीं हैं. मुझे इस विषय पर गहराई से विचार करने की जरूरत है. भारतीय संविधान में जो भी प्रावधान हैं, वे पहले से ही हैं और फिर भी अगर इसमें कोई भी परिवर्तन किया जाता है, तो उसे संसद और कुछ मामलों में 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक होता है. इसके बाद राष्ट्रपति अनुच्छेद 111 के तहत इसे अपनी स्वीकृति प्रदान करते हैं, तब उसे संवैधानिक वैधता प्राप्त होती है. इसलिए मैंने सदन के नेता (जेपी नड्डा) से आग्रह किया था कि सदन को यह जानकारी मिलनी चाहिए कि इस मामले में क्या स्थिति है.

धनखड़ ने आगे कहा कि आप सभी को याद होगा कि यह व्यवस्था इस सदन द्वारा लगभग सर्वसम्मति से पारित की गई थी, जिसमें केवल एक अनुपस्थिति थी और किसी ने भी असहमति नहीं जताई थी. सभी राजनीतिक दल सरकार की इस पहल के समर्थन में एकजुट हुए थे. मैं यह जानना चाहता हूं कि भारतीय संसद से पारित यह विधेयक, जिसे देश की 16 राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किया गया और संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत माननीय राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित किया गया, उसकी वर्तमान स्थिति क्या है.

अगर वो कानून आज होता तो…
इस ऐतिहासिक कानून को संसद ने अभूतपूर्व सहमति के साथ पारित किया था, जो इस देश के संसदीय इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया. इस कानून ने उस समस्या से गंभीरता से निपटने का प्रयास किया था. अगर इस समस्या का समाधान प्रभावी ढंग से किया गया होता, तो शायद हमें इस तरह की परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता. मुझे चिंता इस बात की है कि यह घटना घटित हुई, लेकिन तुरंत सामने नहीं आई.

धनखड़ ने कहा कि अगर यह किसी राजनेता के साथ होता, तो वह निशाने पर आ जाता. अगर किसी नौकरशाह या उद्योगपति के साथ होता, तो तुरंत प्रतिक्रिया दी जाती. इसलिए, एक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी प्रणाली के तहत इसकी प्रतिक्रिया आवश्यक है. मुझे विश्वास है कि इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे. मैं सदन के नेता और विपक्ष के नेता से संपर्क करूंगा और उनकी सहमति के आधार पर सत्र के दौरान एक संगठित चर्चा के लिए कोई व्यवस्था करने का प्रयास करूंगा.

क्या है NJAC Act?
नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमिशन एक्ट (NJAC Act) को साल 2014 में संसद में पारित किया गया था. मगर इसके अगले साल ही इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जज कैश कांड के बाद एक बार फिर ये यह एक्ट चर्चा में आया है. इस एक्ट को 13 अगस्त 2014 को लोकसभा और 14 अगस्त 2014 को राज्यसभा में पारित किया गया था. 31 दिसंबर 2014 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. मगर 16 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया.

NJAC का लक्ष्य जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था. इस कानून का मकसद भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और अन्य जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करना था. हाई कोर्ट के जजों का एक हाई कोर्ट से दूसरे में स्थानांतरण करना और यह सुनिश्चित करना कि नियुक्त व्यक्ति योग्यता, मेरिट और अन्य निर्धारित मानदंडों को पूरा करता हो.

 

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