
नोएडा के कैलाश अस्पताल में 35 साल के पुरुष मरीज को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का पता चला है, जो एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इसमें इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्वस पर हमला करती है. वहीं अब नोएडा में मिले इस मामले ने चिंता पैदा कर दी है, खासकर तब जब महाराष्ट्र में इस बीमारी से जुड़ी कुछ मौतें हुई हैं.बता दें कि महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 225 मामले सामने आए हैं. इनमें से 197 की पुष्टि हुई है और 28 संदिग्ध हैं. राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस बिमारी की वजह से 12 मौतें हुई हैं, जिनमें से छह की पुष्टि हुई है और छह संदिग्ध मामले हैं.
179 मरीज ठीक
रिपोर्ट किए गए मामलों में से, 179 मरीज ठीक हो गए हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है. हालांकि, 24 व्यक्ति गहन देखभाल में हैं, जिनमें से 15 को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है. ये मामले पुणे नगर निगम, हाल ही में जोड़े गए गांव, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, पुणे ग्रामीण और अन्य जिलों सहित कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं.
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
स्वास्थ्य अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं से सतर्क रहने का आग्रह किया है. गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो मांसपेशियों में कमजोरी और पैरालायसिस का कारण बन सकता है, जो अक्सर संक्रमण से शुरू होता है. जबकि अधिकांश रोगी समय पर इलाज से ठीक हो जाते हैं. गंभीर मामलों में लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने और वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है.
हेल्थ एडवाइजरी जारी
राज्य सरकार ने निगरानी बढ़ा दिया है और प्रभावित रोगियों के लिए पर्याप्त उपचार और संसाधन सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों के साथ कोऑर्डिनेशन कर रही है. प्रारंभिक लक्षणों और तत्काल चिकित्सा सहायता लेने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई है.
रोकने के उपाय लागू
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों के जवाब में, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने प्रकोप को रोकने और आगे प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय लागू किए हैं. पुणे नगर निगम (पीएमसी) और पुणे ग्रामीण के अधिकारियों को निगरानी गतिविधियों को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है.