“तमिलनाडु में बीजेपी की सियासी बिसात: मोदी ने किया आगाज़, अब क्या शाह देंगे ‘द्रविड़’ राजनीति को चुनौती?”

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एक साल से भी ज्यादा समय है, लेकिन सियासी दांव अभी से ही खेले जाने लगे हैं. रामनवमी के दिन पीएम मोदी ने श्रीलंका से सीधे रामेश्वरम पहुंचकर मंदिर में माथा टेका और तमिलनाडु में पंबन ब्रिज का उद्घाटन कर 2026 के चुनाव का सियाली टोन सेट कर दिया. बीजेपी के सामने डीएमके की क्षेत्रीयता और द्रविड़ पहचान की राजनीति सियासी बाधा बनकर खड़ी है. अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने तमिलनाडु दौरे से डीएमके की द्रविड़ पॉलिटिक्स की काट तलाशने की कवायद करते हुए नजर आएंगे?

अमित शाह अपने दो दिवसीय तमिलनाडु दौरे पर गुरुवार रात चेन्नई पहुंच गए हैं. अमित शाह का ये दौरा बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि शुक्रवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आवेदन किए जाने हैं. इस तरह प्रदेश अध्यक्ष से लेकर AIADMK के साथ गठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी. अमित शाह मंदिर में दर्शन करने के साथ-साथ बीजेपी नेताओं को साथ बैठक करेंगे. इसके अलावा संघ विचारक एस गुरुमूर्ति से शाह की मुलाकात होनी है, जिसके सियासी मायने भी तलाशे जाने लगे हैं.

तमिलनाडु का सियासी समीकरण
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव अगले साल अप्रैल-मई 2026 में होना है. राज्य में कुल 234 विधानसभा सीटें हैं. तमिलनाडु की पूरी सियासत DMK और AIADMK जैसे क्षेत्रीय दलों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. कांग्रेस की अंतिम सरकार एम भक्तवत्सलम के नेतृत्व में 1963 में बनी थी, जो छह मार्च 1967 तक चली. इसके बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी किसी न किसी क्षेत्रीय दल की पिछलग्गू बनकर चुनाव लड़ती रही हैं. कांग्रेस अभी भी डीएमके के साथ सरकार में है और बीजेपी की नजर AIADMK के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की है.

दक्षिण भारत के इस सबसे बड़े राज्य में बीजेपी के सामने डीएमके की क्षेत्रीयता और द्रविड़ पहचान की राजनीति दीवार बनकर खड़ी है. ऐसे में बीजेपी अपने सियासी प्रभाव को जमाने के लिए विकास और आस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों से समन्वय बनाने की कवायद में है. आस्था और विकास का बिगुल पीएम मोदी ने रामनवमी पर ही तमिलनाडु में फूंक दिया और अब अमित शाह AIADMK के साथ समन्वय बनाने के लिए पहुंचे हैं. इस दौरान AIADMK के साथ गठबंधन की पठकथा लिखने के साथ-साथ बीजेपी की रूपरेखा भी तय करेंगे.

पीएम मोदी ने सेट किया बीजेपी का टोन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनवमी के दिन पंबन ब्रिज के उद्घाटन के सहारे बीजेपी की तमिलनाडु में चुनावी पिच तैयार कर दिया है. बीजेपी ने दो बड़े संदेश लेकर प्रवेश करने का संकेत दिया है. पहला अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक उत्तर से दक्षिण भारत तक सनातनी भावनाओं में उभार लाना और दूसरा तमिलनाडु के विकास के लिए संकल्पबद्धता. श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पूरी करके पीएम मोदी सीधे तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे और रामसेतु के दर्शन किए. रामनाथ स्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने रामायण पाठ और भजन संध्या में भी हिस्सा लिया था.

पीएम मोदी ने सेट कर दिया है कि बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर ही तमिलनाडु के चुनाव में उतरेगी. उन्होंने कहा कि रामनवमी है है और रामेश्वर की पवित्र भूमि है. ये मेरे लिए भावुक पल भी है, क्योंकि बीजेपी की स्थापना दिवस है. विकसित और समृद्ध भारत का जो लक्ष्य हम लेकर चल रहे हैं, उसमें एक-एक कार्यकर्ता का काम है. साथ ही उन्होंने कहा कि रामनवमी के दिन और रामेश्वरम की धरती पर पम्बन ब्रिज का उद्घाटन हुआ. 100 साल पहले जिसने यह ब्रिज बनाया, वह गुजरात में पैदा हुआ था. नए ब्रिज का जिसने उद्घाटन किया, उसका जन्म गुजरात में हुआ है. इस तरह तमिलनाडु से पीएम मोदी ने खुद को जोड़कर सियासी संदेश दिया.

DMK की राजनीति की काट तलाशेंगे शाह
दक्षिण में तमिलनाडु ऐसा राज्य है, जहां के राजनीतिक बिसात से दोनों राष्ट्रीय पार्टियां लगभग पूरी तरह गायब हैं. राज्य की सियासत में DMK और AIADMK ही अरसे से हावी है. हिंदी और हिंदुत्व विरोधी डीएमके की राजनीति बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. डीएमकी की राजनीति के आगे एक दशक से भाजपा के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं. इसीलिए बीजेपी क्षेत्रीय दलों के साथ समनव्य बनाकर चलने की कवायद में है, जिसके लिए AIADMK के साथ गठबंधन का तानाबाना बुना जा रहा है.

AIADMK के साथ गठबंधन की राह में बाधा माने जाने वाले अन्नामलाई की प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी हो चुकी है और उनकी जगह किसी नए चेहरे को पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी है. AIADMK महासचिव एडापडी के पलानीस्वामी ने हाल ही में अमित शाह से मुलाकात में अन्नामलाई को हटाने की मांग रखी थी, जिसके बाद ही उनका इस्तीफा हुआ था. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में नैनार नागेंद्रन, वनथी श्रीनिवासन और करुप्पु मुरुगनाथम जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं. माना जा रहा है कि अमित शाह बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कर सियासी नब्ज की थाह लेने के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष का भी फैसला करेंगे.

गुरुमूर्ति और शाह की मुलाकात
अमित शाह की संघ विचारक गुरुमूर्ति से होने वाली मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है. ये वही गुरुमूर्ति हैं, जिनके ‘धर्मयुद्ध’ ने AIADMK को दो हिस्सों में बांट दिया था. शशिकला को बाहर करने, कथित तौर पर रजनीकांत की राजनीतिक स्थिति को सियासी तौर पर परखने की इच्छा और यहां तक ​​कि अन्नामलाई को अपना डिप्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.अमित शाह के तमिलनाडु पहुंचने से पहले अन्नामलाई ने भी गुरुवार को गुरुमूर्ति से मुलाकात की. शुक्रवार शाह से गुरुमूर्ती के साथ होने वाली बैठक में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए सियासी रणनीति पर चर्चा होगी.

AIDMK गठबंधन के संबंध में एडप्पादी पलानीस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और एएमएमके महासचिव टीटीवी दिनाकरन सहित प्रमुख राजनीतिक पार्टी नेताओं के साथ अमित शाह के साथ चर्चा होगी. हालांकि, गठबंधन की रूपरेखा बन चुकी है, जिसमें सीट शेयरिंग और सियासी एजेंडे पर आगे बढ़ने की मुहर लग सकती है. क्षेत्रीय दल के साथ समन्वय बनाकर अमित शाह तमिलनाडु में डीएमके की राजनीति को काउंटर करने की स्ट्रैटेजी को अमलीजामा पहनाने का काम हो सकता है.

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