
Unnao News : गांवों में कचरा निस्तारण को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। 300 आरआरसी (रिसाइक्लिंग रिवर्स कॉम्पोस्टिंग यूनिट) का निर्माण पूरा हो चुका है, जो अब कचरा प्रबंधन में मदद करेगा। इन यूनिट्स का उद्देश्य गांवों में कचरे के निस्तारण को और प्रभावी बनाना है और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होना है।आरआरसी (रिसाइक्लिंग रिवर्स कॉम्पोस्टिंग यूनिट) का निर्माण ग्रामीण इलाकों में कचरे को संगठित तरीके से निस्तारित करने के लिए किया गया है।इन यूनिट्स के जरिए गांवों में जमा होने वाले कचरे का सही तरीके से पुनर्नवीनीकरण और कॉम्पोस्ट बनाया जाएगा, जिससे न केवल कचरा कम होगा बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी।300 यूनिट्स स्थापित होने से गांवों में कचरा निस्तारण की प्रक्रिया सरल और प्रभावी हो सकेगी।इससे स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में बड़ा योगदान मिलेगा।यह योजना गांवों में कचरे का पुनर्नवीनीकरण करने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करने में भी मददगार साबित होगी।
स्थानीय अधिकारियों ने इस परियोजना को महत्वपूर्ण और प्रभावी बताया है। उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छता में एक बड़ा कदम है, और इससे गांवों में एक सकारात्मक बदलाव आएगा। यह कदम स्वच्छ भारत अभियान और स्थानीय कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। अब गांवों में आरआरसी यूनिट्स के माध्यम से कचरा निस्तारण की प्रक्रिया और बेहतर तरीके से की जा सकेगी, जिससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर में भी सुधार होगा।
गांवों में गंदगी न रहे और ग्रामीणों को स्वच्छ परिवेश मिले। इस मंशा से स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले की 618 पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र (आरआरसी) बनाए जा रहे हैं। अब तक 10 ब्लॉक में 300 आरआरसी बनकर तैयार हो चुके हैं। एक आरआरसी के निर्माण में लगभग तीन से पांच लाख रुपये लागत आई है। इस तरह करोड़ों रुपये खर्च हो जाने के बाद भी यह शोपीस बने हुए हैं।
गांव में न घर-घर कूड़े को एकत्र कराया जा रहा है और न गीले-सूखे कूड़े की छटनी हो रही है। सरकार की मंशा थी कि अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनने के बाद गांव में गंदगी न फैले। इसलिए गांव से निकलने वाले कचरे को इन केंद्रों पर लाकर गीला व सूखा कचरा अलग किया जाना था। इसके साथ ही जैविक खाद बनाई जानी थी। वहीं अजैविक प्लास्टिक कचरे को पीएमयू यूनिट में भेजकर निस्तारण के बाद ब्रिकी के लिए तैयार किया जाना था। इससे ग्राम पंचायतों की आय में बढोतरी होती। मगर कुछ जगह को छोड़ कर अधिकांश जगहाें पर इनका संचालन बजट के कारण अटका है। यहां पर कई जगह मशीनें नहीं हैं तो कई जगह घरों से कूड़ा लाने के लिए ई-रिक्शे भी नहीं है।
कहीं उगी घास तो कहीं लटक रहे ताले
राजपुर ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में लाखों के बजट से आरआरसी सेंटर बनाए गए है। इन्हें तैयार हुए एक साल हो चुका है। मगर इनका संचालन शुरू नहीं हो पाया। इससे ठोस व गीले कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी से आरआरसी सेंटर शोपीस बने हुए हैं। इनके संचालन के लिए ई-रिक्शे भी लिए जाने थे। मगर कई पंचायतों में जिम्मेदार बजट का अभाव बता रहे हैं, तो कई जगह पंचायत के प्रतिनिधि इनके संचालन में रुचि नहीं ले रहे हैं।