
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि नयी शिक्षा नीति (NEP) में तीन भाषाओं का फार्मूला पूरे देश के लिए अच्छा है।एनईपी में त्रिभाषा नीति पर चल रही गंभीर बहस, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में जारी गंभीर बहस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमियां हैं या कुछ लोग जानबूझकर “राजनीति खेलने की कोशिश कर रहे हैं”।केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा नीति पूरे देश के लिए अच्छी है।”
रिजिजू दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) पर क्षेत्रीय समीक्षा बैठक और प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने के लिए तिरुवनंतपुरम में थे।रिजिजू ने कहा, “आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है। उनकी मातृभाषा गुजराती है। हमारे गृह मंत्री अमित शाह जी की मातृभाषा गुजराती है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मातृभाषा ओडिया है और मेरी मातृभाषा अरुणाचली है, लेकिन हम अपने देश के हित को सर्वोपरि रखते हुए एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं।”उन्होंने कहा, “इसलिए हमें देश को धर्म या भाषा के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।”
रिजिजू ने कहा, “हम सभी भारतीय हैं; आइए हम मिलकर काम करें और प्रधानमंत्री मोदी जी ने लगातार कहा है कि भारत में हर क्षेत्र, हर समुदाय और हर कोई समान है, और सभी को समान सुरक्षा और समान वरीयता दी जाएगी, इसलिए हमें देश को जाति, पंथ, धर्म या समुदाय या राज्य या क्षेत्र के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।”उनका यह बयान एनईपी 2020 के खिलाफ तमिलनाडु सरकार के कड़े विरोध के बीच आया है, जिसमें “त्रि-भाषा फार्मूले” पर चिंता जताई गई है और केंद्र पर “हिंदी थोपने का प्रयास” करने का आरोप लगाया गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपना दृढ़ रुख दोहराते हुए कहा कि यदि केंद्र 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि की पेशकश भी करता है तो भी वह एनईपी को लागू करने पर सहमत नहीं होंगे।इसके विपरीत, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र के प्रति पुरजोर समर्थन व्यक्त करते हुए न केवल तीन बल्कि कई भाषाओं को सीखने की वकालत की।