Alert : बहरा बना सकता है फोन का ज्यादा इस्तेमाल,जानें इसकी वजह…

भारत में 6 करोड़ से अधिक लोग बहरेपन की समस्या से जूझ रहे हैं, और अब इसका कारण भी सामने आया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे प्रमुख कारण गलत जीवनशैली, अव्यावसायिक ऑडियो उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और अत्यधिक शोर का exposure हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समस्या और बढ़ सकती है। अत्यधिक शोर, लाउड म्यूजिक और बिना इयर प्रोटेक्शन के संगीत सुनने से बहरेपन का खतरा बढ़ जाता है। विभिन्न हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने लोगों को सावधान करते हुए बताया कि ऑडियो उपकरणों का अत्यधिक और गलत तरीके से उपयोग बहरेपन का प्रमुख कारण बन सकता है। उन्होंने इस समस्या से बचने के लिए सही तरीके से सुनने की आदतों को अपनाने की सलाह दी है।

Alert : भारत में 6 करोड़ से अधिक लोग बहरेपन की समस्या से जूझ रहे हैं, और अब इसका कारण भी सामने आया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे प्रमुख कारण गलत जीवनशैली, अव्यावसायिक ऑडियो उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और अत्यधिक शोर का exposure हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समस्या और बढ़ सकती है। अत्यधिक शोर, लाउड म्यूजिक और बिना इयर प्रोटेक्शन के संगीत सुनने से बहरेपन का खतरा बढ़ जाता है। विभिन्न हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने लोगों को सावधान करते हुए बताया कि ऑडियो उपकरणों का अत्यधिक और गलत तरीके से उपयोग बहरेपन का प्रमुख कारण बन सकता है। उन्होंने इस समस्या से बचने के लिए सही तरीके से सुनने की आदतों को अपनाने की सलाह दी है।

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Loud Noise Can Cause Hearing Loss And Deafness Risk In Young Adults - Amar  Ujala Hindi News Live - सावधान:ये छोटी सी लापरवाही आपको बना सकती है बहरा,  बच्चों-युवाओं में देखा गया सबसे ज्यादा खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि 12 से 35 वर्ष की आयु के एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता कम होने या बहरेपन का जोखिम हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वीडियो गेमिंग और हेडफोन्स का अत्यधिक उपयोग और उनकी तेज आवाज इस समस्या का प्रमुख कारण बन रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चों और युवा वर्ग के बीच यह समस्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर उन लोगों में जो बिना सुरक्षा के लाउड म्यूजिक या गेम्स सुनते हैं। विशेषज्ञों ने इसे एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा है और लोगों को सलाह दी है कि वे शोर से बचें और सुनने की आदतों को सुधारें, ताकि सुनने की क्षमता बनी रहे।

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What Cause Stress And Anxiety Know Tanav Kyu Hota Hai Stress Se Kaise Bache  - Amar Ujala Hindi News Live - Mental Health:क्या आप भी अक्सर चिंता-तनाव से  रहते हैं परेशान? जानिएकम सुनाई देना या बहरेपन की समस्या भारत सहित दुनिया के कई देशों में तेजी से बढ़ती जा रही है। कुछ दशकों पहले तक इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कत माना जाता रहा था, हालांकि ये समस्या अब कम उम्र के लोगों यहां तक कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत की 6.3% आबादी या लगभग 63 मिलियन (6.3 करोड़) लोगों को सुनने की क्षमता में गंभीर कमी या बहरेपन की समस्या है। कुछ आदतें इस दिक्कत को बढ़ाती जा रही हैं।

Headphones And Earbuds Can Impact Hearing Loss Know Ways To Set Healthy  Noise Limits - Amar Ujala Hindi News Live - Who ने किया सावधान:100 करोड़ से अधिक  लोगों में बहरेपन कामेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि सुनने की क्षमता में कमी की समस्या वालों का एक बड़ा हिस्सा 0 से 14 वर्ष की आयु वाले लोगों का है। साल 2011 की भारतीय जनगणना में बताया गया कि 19% आबादी को सुनने की दिक्कत थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल से संबंधित कुछ प्रकार की गड़बड़ियों को इसका एक बड़ा कारण माना जाता रहा है। हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि जो लोग विडियो गेम्स अधिक खेलते हैं, अक्सर हेडफोन या ईयरफोन लगाए रहते हैं और तेज आवाज के संपर्क में रहते हैं उनमें सुनने की क्षमता कम होने का जोखिम अधिक देखा जा रहा है।

 

दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है खतरा..
Headphones And Earbuds Can Impact Hearing Loss Know Ways To Set Healthy  Noise Limits - Amar Ujala Hindi News Live - Who ने किया सावधान:100 करोड़ से अधिक  लोगों में बहरेपन का

डब्ल्यूएचओ ने एक वैश्विक रिपोर्ट में सावधान करते हुए कहा, 12 से 35 वर्ष की आयु वाले एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता कम होना या बहरेपन का जोखिम हो सकता है। इसके लिए मुख्यरूप से लंबे समय तक ईयरबड्स से तेज आवाज में संगीत सुनने और शोरगुल वाली जगहों पर रहना एक बड़ा कारण माना जा रहा है। ईयरबड्स या हेडफोन्स का इस्तेमाल करने वाले लगभग 65 प्रतिशत लोग लगातार 85 (डेसिबल) से ज्यादा तेज आवाज में इसे प्रयोग में लाते हैं। इतनी तीव्रता वाली आवाज को कानों के आंतरिक हिस्से के लिए काफी हानिकारक पाया गया है, जो कम उम्र के लोगों को भी बहरा बनाती जा रही है।

अध्ययन में क्या पता चला?
World Hearing Day: देश में 6.3 करोड़ से ज्यादा लोग बहरेपन का हैं शिकार,  एक्सपर्ट से जानें इसके कारण | World Hearing Day: More than 6.3 crore people  suffer from deafness in

बीएमजे पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित ये अध्ययन डब्ल्यूएचओ के सहयोग से किया गया है। 50,000 से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययनों के विश्लेषण में टीम ने पाया- कि वीडियो गेम्स के दौरान होने वाली आवाज तय सीमा से कहीं अधिक होती है। सामान्य लोगों के लिए 25-30 डेसीबल ध्वनि को पर्याप्त माना जाता है, जबकि  80-90 डेसीबल ध्वनि श्रवण शक्ति को स्थायी हानि पहुंचाने वाली हो सकती है। विश्लेषण के दौरान पाया गया कि वीडियो गेमिंग के समय अधिकतर लोगों का ध्वनि स्तर 85 और 90 डेसीबल के आसपास रहा, जो कानों की सहनशक्ति से कहीं अधिक है।

वीडियो गेम और हेड फोन्स की तेज आवाज है खतरनाक
Headphones And Earbuds Can Impact Hearing Loss Know Ways To Set Healthy  Noise Limits - Amar Ujala Hindi News Live - Who ने किया सावधान:100 करोड़ से अधिक  लोगों में बहरेपन का

विशेषज्ञों ने कहा- वीडियो गेमिंग और हेड फोन्स की तेज आवाज सुनने की क्षमता में कमी के साथ टिनिटस का भी खतरा बढ़ाती जा रही है।  टिनिटस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सिर या कानों के अंदर लगातार किसी किसी प्रकार की ध्वनि सुनाई देती है। यह ध्वनि बजने गूंजने, भनभनाने, फुफकारने या दहाड़ने जैसी हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि टिनिटस न केवल मानसिक तनाव और चिंता बढ़ाता है, बल्कि यह कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है। ऐसे लोगों को एकाग्रता, नींद की परेशानी होती है जो उनकी उत्पादकता पर भी गंभीर असर डालती है।

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