उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का बजट पेश किया, फारसी मुहावरे से क्या कही खास बात?

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला वार्षिक बजट जम्मू कश्मीर के समय विधान सभा में मौजूद रहे. उन्होंने इस बजट को पेश करने की शुरुआत एक फारसी मुहावरे से की. जानकारों के अनुसार ये कहीं न कहीं उमर अब्दुल्ला के दिल के असल हालात को दर्शाता है.उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट 7 साल बाद पेश किया पर पेश करने की शुरुआत में उमर ने फारसी भाषा का मुहावरा “तन हमा दाग दाग शुद, पुम्बा कूजा कूजा महम” कहा और इसके बाद बजट का आगाज किया.अंग्रेजी में इस मुहावरे का अर्थ भी उमर अब्दुल्ला ने इसके इस्तेमाल के साथ ही समझाते हुए कहा, “…My entire body is covered with bruises where should I apply the balm,”.

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला वार्षिक बजट जम्मू कश्मीर के समय विधान सभा में मौजूद रहे. उन्होंने इस बजट को पेश करने की शुरुआत एक फारसी मुहावरे से की. जानकारों के अनुसार ये कहीं न कहीं उमर अब्दुल्ला के दिल के असल हालात को दर्शाता है.उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट 7 साल बाद पेश किया पर पेश करने की शुरुआत में उमर ने फारसी भाषा का मुहावरा “तन हमा दाग दाग शुद, पुम्बा कूजा कूजा महम” कहा और इसके बाद बजट का आगाज किया.अंग्रेजी में इस मुहावरे का अर्थ भी उमर अब्दुल्ला ने इसके इस्तेमाल के साथ ही समझाते हुए कहा, “…My entire body is covered with bruises where should I apply the balm,”.

क्या बेबसी जाहिर की उमर अब्दुल्ला ने?
फारसी ज़बान के जानकार और उस्ताद रहे सिब्ती मुहम्मद हसन के अनुसार इस मुहावरे से इंसान अपनी बेबसी जाहिर करता है. उनके अनुसार इस शेर में एक बड़ी बात है कि इसका लफ्जी मतलब कुछ ऐसा होता है कि मेरा दिल चूर-चूर छलनी-छलनी है. ये मैं किस-किस को बताऊं, या बात कहूं या में कहां-कहां इसको मरहम करूं.

सिब्ती मुहम्मद हसन के अनुसार, अगर बजट के संदर्भ में इस मुहावरें को देखेंगे तो इसका मतलब बेबसी से है क्योंकि कहीं न कहीं उमर अब्दुल्ला को खुद पता है कि बजट में क्या है. क्योंकि यह बजट नेशनल कांफ्रेंस के घोषणापत्र के साथ तालमेल बिठाता हुआ नजर नहीं आता.

एक अन्य राजनैतिक जानकार के अनुसार, 7 साल बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बजट पेश किया पर इस वाले बजट पर डिमांड ज्यादा है और उमर अब्दुल्ला उतना कर नहीं सकते हैं. या दूसरे शब्दों में कहें तो 7 साल में जितने मसले लोगों को पेश आए हैं उसका इस बजट में एक झटके में समाधान लेके सामने आना उमर अब्दुल्ला के लिए संभव नहीं है. जिसका एक इशारा उनकी ओर से इस्तेमाल किए गए इस फारसी मुहावरे से दिया गया है. उहोंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी शेयर किया हैं.

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