बुलडोजर एक्शनः प्रयागराज से नागपुर तक के एक्शन पर कोर्ट ने उठाए सवाल

एक के बाद एक, कई राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई पर देश की अलग-अलग अदालतों ने नाराजगी जाहिर की है. प्रयागराज में मकान ढहाने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल की सुप्रीम कोर्ट ने जमकर आलोचना की. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इससे हमारी अंतरात्मा को धक्का लगा है. सर्वोच्च अदालत का कहना था कि आरोपी को किसी मामले में नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही उसके मकानों को बुलडोजर से गिराना और पीड़ित पक्ष को अपील करने का समय नहीं देना कहीं से भी सही नहीं है. सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बुलडोजर एक्शन पर नागपुर में हुई हिंसा के बहाने चिंता जाहिर किया है.

नागपुर मामले में भी फहीम खान और यूसुफ शेख की संपत्तियों को बुलडोजर से ढाहने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है. अदालत ने यहां भी सुप्रीम कोर्ट की ही तरह कहा कि सुनवाई का मौका दिए बिना और आरोपी के दोषी साबित हुए बिना उसके मकान को तोड़ना, उसके विध्वंस की कार्रवाई सही नहीं है. अगर प्रयागराज वाले मामले की बात करें तो यहां 2021 में एक वकील, एक प्रोफेसर और एक और शख्स के घर को बुलडोजर से तोड़ दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ जजों में से एक जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और अभय एस. ओका की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर आपत्ति जताई और उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?
बात अगर बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से आई टिप्पणी की करें तो महाराष्ट्र के नागपुर में 17 मार्च को हिंसा हुई थी. हिंसा की मुख्य वजह औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर कुछ नेताओं और असमाजिक तत्त्वों के बयान और फिर उसके बाद की उन्माद थी. बाद में, सरकार ने हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम समेत 6 आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया. इससे पहले की महाराष्ट्र सरकार बुलडोजर एक्शन की तरफ बढ़ती बॉम्बे हाईकोर्ट ने फहीम खान, यूसुफ शेख समेत और लोगों के बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी. उच्च अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और नगर निगम के अधिकारियों को जवाब दायर करने को भी कहा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Captcha loading...

Back to top button