थरूर.. शमा.. ये सब ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’ के बाहर, फिर भी कांग्रेस मौन? एक नहीं हजार मजबूरी..

कांग्रेस आलाकमान को एक तरफ अनुशासन बनाए रखना है और दूसरी तरफ यह भी दिखाना है कि पार्टी में बोलने की आजादी है. लेकिन इसके लिए बैकफुट पर जाना पड़ता है. ऐसे में क्या इन बागी नेताओं पर कोई सख्त कदम उठेगा या फिर सिर्फ खामोशी से हालात संभल जाएंगे. बीजेपी और कांग्रेस की वर्तमान राजनीतिक नजर रखने वाले तमाम एक्सपर्ट्स जब तुलना पर उतरते हैं इसमें एक बड़ा पॉइंट सामने निकलकर आता है. बीजेपी के अंदर अगर किसी बात की आलोचना होती है तो ये चीजें पार्टी फोरम के बाहर नहीं आती हैं. इसके उलट कांग्रेस के कई नेता आलाकमान से खुलकर असहमति जताते हैं और वो भी बागी स्वभाव में. तो आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस इन पर लगाम नहीं लगा पाती है. इसे उदाहरण सहित समझना जरूरी है और कारण भी जान लेना चाहिए. मसलब शशि थरूर के बयान से तो आजकल ऐसा लग रहा है कि वो कब कांग्रेस छोड़ दें कुछ कहा नहीं जा सकता है. उधर बार-बार वार्निंग के बावजूद शमा मोहम्मद जैसे लीडर पार्टी लाइन के इतर ही बयान दे रहीं हैं.

Congress Leadership: कांग्रेस आलाकमान को एक तरफ अनुशासन बनाए रखना है और दूसरी तरफ यह भी दिखाना है कि पार्टी में बोलने की आजादी है. लेकिन इसके लिए बैकफुट पर जाना पड़ता है. ऐसे में क्या इन बागी नेताओं पर कोई सख्त कदम उठेगा या फिर सिर्फ खामोशी से हालात संभल जाएंगे. बीजेपी और कांग्रेस की वर्तमान राजनीतिक नजर रखने वाले तमाम एक्सपर्ट्स जब तुलना पर उतरते हैं इसमें एक बड़ा पॉइंट सामने निकलकर आता है. बीजेपी के अंदर अगर किसी बात की आलोचना होती है तो ये चीजें पार्टी फोरम के बाहर नहीं आती हैं. इसके उलट कांग्रेस के कई नेता आलाकमान से खुलकर असहमति जताते हैं और वो भी बागी स्वभाव में. तो आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस इन पर लगाम नहीं लगा पाती है. इसे उदाहरण सहित समझना जरूरी है और कारण भी जान लेना चाहिए. मसलब शशि थरूर के बयान से तो आजकल ऐसा लग रहा है कि वो कब कांग्रेस छोड़ दें कुछ कहा नहीं जा सकता है. उधर बार-बार वार्निंग के बावजूद शमा मोहम्मद जैसे लीडर पार्टी लाइन के इतर ही बयान दे रहीं हैं.

असल में हाल ही में शशि थरूर ने कई बयान दिए. इनमें कम से कम दो बार उन्होंने सीधे मोदी सरकार की तारीफ कर दी. उनके बयान पर कांग्रेस खामोश है उन्हें खुलकर कोई चेतावनी नहीं दे पाई. यह खामोशी बताती है कांग्रेस के सामने असमंजस की स्थिति है कि अपने नेताओं की बयानबाजी को कैसे रोके. असमंजस यह भी है कि पार्टी लोकतांत्रिक और सहिष्णु भी दिखे. क्योंकि कांग्रेस लगातार बीजेपी पर असहमति की आवाज दबाने का आरोप लगाती है ऐसे में खुद भी वो करना पड़ेगा.

 

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