
मणिपुर में जातीय संघर्ष की दूसरी बरसी है. ऐसे में शनिवार को अलग-अलग समूहों की ओर से आहूत बंद की वजह से मेइती नियंत्रित इंफाल घाटी और कुकी बहुल पहाड़ी जिलों में लोगों के सामान्य जनजीवन पर असर दिखाई दिया. मणिपुर अखंडता पर मैतेई समूह समन्वय समिति ने घाटी के जिलों में बंद का आह्वान किया था. जबकि जोमी छात्र संघ और कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने पहाड़ी जिलों में बंद का आह्वाहन किया था.
अधिकारियों के मुताबिक, 2023 में इसी दिन मेइती और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष हुआ था. इस संघर्ष में 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. लगभग 1500 और लोग भी इसमें घायल हुए थे. हिंसा प्रभावित इलाकों से 70 हजार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए थे. पूरे राज्य में बाज़ार बंद रहे, सार्वजनिक गाड़ियां भी सड़कों से नदारद रहीं और प्राइवेट ऑफिस भी बंद रहे. सुबह सड़कों पर कुछ लोगों की खुद की गाड़ियां दिखाई दीं.
स्कूल, कॉलेज और दूसरे संस्थान भी बंद किए गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रमुख स्थानों पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
मोमबतत्ती जलाकर देंगे श्रद्धांजलि
सीओसीओएमआई इंफाल के खुमान लम्पक स्टेडियम में मणिपुर पीपुल्स कन्वेंशन आयोजित करेगा. इसने लोगों से बड़ी संख्या में जनसभा में शामिल होने का आग्रह किया है. जनजातीय हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंफाल में शाम के समय मोमबत्ती जुलूस भी निकाला जाएगा. पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी में कुकी समुदाय अलग क्षेत्र की मांग को लेकर डे ऑफ सेपरेशन मना रहे हैं.
जातीय हिंसा में मारे गए लोगों की याद में चुराचांदपुर शहर में बनाई गई वॉल ऑफ रिमेंबरेंस पर दोपहर 11 बजे कार्यक्रम होगा. दूसरा कार्यक्रम दोपहर दो बजे से सेहकेन दफन स्थल पर होगा, जहां हिंसा में मारे गए कुकी समुदाय के कुछ लोगों को दफनाया गया है.
दोनों समुदायों के आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) मनोवैज्ञानिक आघात और आर्थिक असुरक्षा से जूझ रहे हैं. कई लोग जैसे कि पूर्व कोचिंग संस्थान के मालिक एस. मिन लून, जो अब कंगपोकपी में अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं और टॉमपोक, जो कभी किराने की दुकान के मालिक थे और अब बिष्णुपुर में एक प्रीफ़ैब यूनिट में रह रहे हैं.