मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने छत्रपति शिवाजी महाराज युग के 12 किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने का ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के सैन्य इलाके की अनूठी विरासत को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शिवाजी महाराज के किले सिर्फ वास्तुकला नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक विरासत हैं। राज्य सरकार निश्चित रूप से इस विरासत को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करेगी।
सह्याद्री गेस्ट हाउस में शुक्रवार को ‘भारत के मराठा सैन्य क्षेत्र’ के विश्व धरोहर नामांकन को लेकर राज्य सरकार के सांस्कृतिक कार्य विभाग और पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की ओर से महाराष्ट्र के सैन्य इलाके की अनूठी विरासत को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है। इनमें महाराष्ट्र में सलहेर, शिवनेरी, लोहगढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग, खंडेरी, राजगढ़, प्रतापगढ़ जैसे 11 किले और तमिलनाडु में जिंजी जैसे 12 किले शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को विश्व धरोहर नामांकन प्रक्रिया के लिए भेजने का निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय पुरातत्व विभाग को विशेष धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक असाधारण महापुरूष थे। स्वराज्य की स्थापना कर उन्होंने एक गौरवशाली इतिहास रचा। उनके समय में किले का निर्माण उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है। उन्होंने शत्रु को परास्त करने के लिए उस समय की तकनीक और वास्तुशास्त्र का अद्भुत आविष्कार दिखाया। हम शिव काल के इन किलों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। आज भी ये किले मजबूत स्थिति में हैं। यहां के तहखाने में छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृतियां हैं। यह इतिहास हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।
बैठक में सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, कौशल विकास विभाग मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के अध्यक्ष और यूनेस्को में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि विशाल शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सांस्कृतिक कार्य विभाग के प्रधान सचिव विकास खडग़े, भारतीय पुरातत्व विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. जानविज शर्मा, टी. श्रीलक्ष्मी, अधीक्षक शुभा मुजुमदार, सांस्कृतिक कार्य विभाग की उप सचिव नंदा राउत, राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय के निदेशक सुजीत कुमार उगले आदि उपस्थित थे।