नई दिल्ली। विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से संबंधित 11,000 वाहनों की पहचान स्क्रैपिंग के लिए की गई है। ये गाड़ियां बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में इस्तेमाल किए जाते हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, ये वाहन 15 साल से अधिक पुराने हैं। 15 साल पुरानी गाड़ियों का पहचान इसलिए किया जा रहा है ताकि उसे नई गाड़ी से बदला जा सके। इससे पॉल्यूशन पर भी रोक लगेगा, वहीं सुरक्षा बल के पास एडवांस और नई गाड़ियां हो जाएंगी।
बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के पास संयुक्त बेड़े के रूप में एक लाख से अधिक वाहन हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे राज्य पुलिस संगठनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पुराने परिचालन वाहनों को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। कथित तौर पर गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन से 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का अनुरोध किया है।
क्या है vehicle Scrappage policy?
Vehicle Scrappage policy के तहत 15 साल से पुराने सरकारी और कमर्शियल वाहनों और 20 साल से पुराने निजी वाहनों को नष्ट कर दिया जाएगा। इसके तहत पुराने वाहनों को पुन: पंजीकरण से पहले एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा और नीति के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक पुराने सरकारी कमर्शियल वाहन और 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहनों को रद्द कर दिया जाएगा। सबसे पहले 29 अक्टूबर 2018 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगा दी थी।